Thursday 11 February 2016

कविता ४९४. सच कहना

                                                                     सच कहना
हम जब कुछ कहते है कोई सुन ले तो भाता है पर ना सुन ले तो भी क्या सच कहने का मजा तो आता ही है जीवन की धारा को हर बार समझना होता है
कुछ हम कहते है और कुछ मामलों में हम कहने से कतराते है पर अक्सर हमने देखा है जीवन को समझ लेना हम चाहते है पर उस सच्चाई को कहने से कतराते है
जीवन की जो बाते हम समझ नहीं पाते है पर जब हम समझ लेते है जीवन की धारा बदल जाती है जीवन के हर मोड़ के अंदर सोच अलग होती है पर हर सोच के अंदर एहसास अलग आ जाता है
हमे जीवन को समझ लेना होता है उस मोड़ में जिसमे एहसास अलग हो जाता है पर कभी कभी एहसास अहम नहीं होता हमारा विश्वास अहम बन जाता है
कहते तो हम रहते है पर बात समझ नहीं पाते है जीवन के अंदर सोच की दिशा बदल जाते है जीवन तो बदलता रहता है जीवन को सच समझ लेना जरुरी नजर आता है
हमे आगे तो जाना होता है पर जीवन का एहसास बड़े आसानी से बदलता जाता है पर लोग नहीं मानते तो दर्द भी होता है पर फिर भी लोगों के लिए जीवन तो हर मोड़ बदलता जाता है
जीवन में सोचना जरुरी होता है की  क्या हम सच कह पाते है पर हर बार जीवन कहाँ सही दिशा ले पाता है पर उम्मीद रखे तो सच्चाई का असर अलग होता है
कुछ पल दो तो जीवन को दिशा अलग देनेवाला सच भी पहले पल हार जाता है जीवन में अलग अलग असर को समझ लेना हर बार और हर पल जरुरी होता है
हर सच को परख लेना जीवन को नई शुरुआत देता है जीवन में हर बार  सोच को समझ लेना जरुरी होता है उम्मीदे दे जाता है दिशा देता है
कहना तो हर बार अहम है पर हर पल जीवन को समझ लेना जीवन में मतलब हर बार अलग एहसास दे जाता है जीवन को नई रोशनी दे जाता है

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