Friday 5 February 2016

कविता ४८२. दिन और रात की बाते

                                                        दिन और रात की बाते
जब जब बात को समझे तो जीवन अपना मतलब बदल जाये जब दिन रात को समझ ले तो जीवन अपना किनारा बदल जाये बाते तो कुछ ऐसी अलग है जिनका मकसद बदल जाये
पर जीवन की धारा को समझ लेते है तो उसके अंदर जीवन के हर पल को परख जाये हमे जीवन में जीने की जरूरत होती है उस में बात समझ जाये
हर बात को परख लेना जरुरी है तो उस बात में एहसास हर बार बदल जाये जीवन की धारा को परख लेते है उसके अंदर की बात कभी कभी हमारे जीवन में समझ आये
पर कभी कभी हम तो कुछ ऐसे अनजान है की हमे जीवन की धारा बिलकुल समझ ना आये दिन को परख ना पाते है जीवन में हम दिन को परख ना पाते है हम रातों से भी हर पल कतराये
जो जीवन को समझ तो लेते है जिसे परख लेने की सोच ही नई बात बताती है दिन और रात में अलग असर तो जीवन को अलग रंग हर बार दिखाते है
क्योंकि जीवन में मतलब तो हमे नई शुरुआत देते है क्योंकि जीवन में अलग सोच ही समझ लेना जीवन को वह एहसास देते है बातोंसे ही जीवन में नया किनारा मिलता है
अलग सोच के अंदर नई चीजे मतलब तो देती है जीवन में सोच ही नये मायने देती है जो नया किनारा दे जाते है अलग अलग सोच ही जीवन को ताकद देते है
जीवन को परख लेना जीवन की चाहत होती है जीवन के अंदर नये एहसास हमे उम्मीदे देते है जिनमे नई शुरुआत देते है जीवन को मतलब देते है
बाते कितनी अलग अलग होती है कुछ तो हमे आगे ले जाती है जीवन में नई उम्मीद  बार बार अलग एहसास और ताकद तो होती ही है
बात को अलग जीवन तो राहे दे जाते है राह के अंदर अलग अलग बाते जो आती है जो जीवन को मतलब और एहसास प्यारे किसम के आ जाते है 

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