Friday 26 February 2016

कविता ५२५. सोच कर आगे बढना

                                            सोच कर आगे बढना
हर बार जीवन कि राहों को समझ लेना रोशनी दे जाता है जीवन कि सोच को बदलते रहना जरुरी नजर आता है राहे दे जाता है
राहे तो समझ लेते है तो जीवन को नया एहसास अलगसा मिल जाता है जो राह को बदलते जाता है जीवन को मतलब दे जाता है
पर कब तक गुजारे सोचने मे हम वक्त को उसे समझ लेना जरुरी नजर आता है पर एक मोड के बाद जीवन को समझ लेने कि जगह चलना अच्छा नजर आता है
कितनी देर तक सोच सोचने कि भी एक हद होती है कभी कभी वह हद भी गुजर जाती है जीवन मे सोच सोचकर लगता है
कितना सोचने से ही जीवन कि उम्मीदे नजर आती है तभी हमारी दुनिया बदल जाती है क्योंकि पहले सोचने कि जरुरत होती है
पर जिन्दगी कुछ करने से ही तो आगे बढती है जीवन कि धारा अनजानी बात भी समझ पाती है जब उसे समझ लेने कि जीवन मे जरुरत होती है
जीवन मे अलग एहसास होता है वह हर बात को करने से ही तो होता है बातों को करना जीवन मे सबसे जरुरी हर बार होता है
हर चीज जीवन मे करने कि जरुरत हर बार होती है पर सबसे पहले हमे करने कि अहमियत समझ लेने कि हर बार जरुरत होती है
जीवन कि हर बाजी अहम लगती है जब जीवन मे उसकी जरुरत हर मोड पर
जीवन को समझ लेने के साथ करना भी होती है

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