Wednesday 24 February 2016

कविता ५२०. यादों को आगे और पीछे जाना

                                           यादों को आगे और पीछे जाना
हर बूँद के अंदर यादे तो होती है कुछ जानी पेहचानीसी तो कुछ अनजानी लगती है जिन्हे समझ तो लेते है पर बिन बूँदों कि भी कुछ यादे सुहानी होती है
यादे तो यादे होती है वह कई बहानों से जीवन मे आती जाती है जीवन कि सुनहरी कहानी लिखती है हमे कई सुहानी उम्मीदे देती है
हर बूँद के अंदर ही तो जीवन कि कहानी अधूरी नजर आती है जीवन कि सोच को परख लेने कि जरुरत हर बार जीवन मे होती है
बूँदे चारो दिशाओं से जीवन कि कहानी कहती है वह उम्मीदों से भी ज्यादा जीवन को आसानी से समझकर आगे बढती रहती है
कई एहसास तो छुपे होते है यादों मे वह उन्हे बाहर लाने कि बजह ढूँढती है वह सोच तो प्यारी देती है मन को पर अलग खयालों कि दुनिया मे ले जाती है
जीवन तो दो राहों का किस्सा है उस जीवन कि कहानी बनती है जिसे परख तो लेते है हम उन बातों कि कहानी हर बार मतलब दे जाती है
बूँद ही क्या पर रोशनी कि एक किरन भी जीवन कि कहानी कहती है क्योंकि यादों को तो तलाश है किसी राह कि वह कोई ना कोई कहानी कहती है
जब जब हम जीवन को समझ लेते है तो जीवन कि सोच बदलती रहती है पर उस सोच कि भी कोई याद जीवन कि कहानी लिखती है
हर छोटीसी बात भी शुरुआत दे कर आगे बढती है हर बार हर पल मे जीवन कि कोई बात छुपी हुई हर मोड पर रहती है
यादे तो हर बार बदलती रहती है पर उन यादों से जो प्यास एकसी होती है जिन्हे समझ लेने पर जीवन कि कहानी फिर से शुरु हो जाती है क्योंकि यादे अजब होती है
वह कभी पीछे और कभी आगे भी ले जाती है क्योंकि जीवन मे यादे कही भी ले जाती है यादे तो जीवन को एहसास नया हर बार देती रहती है

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