Monday 15 February 2016

कविता ५०३. उजाले और अँधेरे मे दोनों मे जीवन कि कहानी

                            उजाले और अँधेरे मे दोनों मे जीवन कि कहानी
रोशनी तो जीवन को उजाला दे जाती है जीवन मे वही तो नई शुरुआत मिल जाती है रोशनी ही तो जीवन को मतलब हर बार देती है
पर उजाले से ज्यादा जीवन कि कहानी कभी कभी अँधेरे से बनती है जीवन कि दास्तान हमे जीवन मे नई सुबह हर बार देती है
सुबह के अंदर जीवन कि कहानी हर बार बनती है कहानी के अंदर अलग अलग मोड को समझ लेने कि हर बार हर सुबह मे जरुरत होती है
रोशनी तो जीवन मे हर बार उजाले देती है जिन्हे समझकर आगे बढने कि जीवन को हर राह पर जरुरत होती है जिसे दुनिया समझ लेती है
उजाले से ही तो जीवन कि कहानी कुछ अलग बनती है अनसुनी दास्तान जीवन को मतलब कई ओर देती है जीवन कि सारी बाते उम्मीदों से ही बनती है
पर कई उम्मीदे रात मे भी छुपी रहती है उजाले से ही जीवन कि हर मोड पर जीवन मे एहसास देती है उजाले से समझ लेने कि जरुरत होती है
उजाले को समझ लेने कि जरुरत हर बार होती है उजाले को परख लेने कि जरुरत हर राह पर होती है जो हमे अलग एहसास हर बार देती है
उजाला ही परख लेने कि जरुरत हर बार नही लगती कभी कभी अँधेरे से भी भगवान कि झलक दिख जाती है रोशनी आती है
उजाला ही जीवन कि कहानी बनती है जिस से ही जीवन कि शुरुआत हर बार होती है जो हमे नई सुबह देती है वह अँधेरे से हर बार निकल कर आती है
पर कभी कभी अँधेरे से ही जीवन कि कहानी हर बार बनती है जो हमारी दुनिया बदल कर हमे आगे ले जाती है जीवन को मतलब हर बार देती है

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