परिंदे तो उड जाते है
परिंदे तो उड जाते है जिनके पंखो मे ताकद होती है पर क्या हमारे जीवन मे हमारे घर कि डाली इतनी ही किंमत होती है
जीवन मे हर बार हमे हर चीज कि किंमत तय करनी होती है क्या जरुरी है क्या नही यह हमारी सोच होती है अपनी पसंद होती है
हमे जीवन को परख लेने कि हर बार जरुरत होती है पर फिर मन को यह कहने कि चाहत होती है क्या डाल जितनी ही हमारे घर कि जरुरत होती है
फिर क्यूँ जो उसे छोड गये उनकी इतनी अहमियत होती है जो रुके हुए है उनकी इतनी कम अहमियत होती है
जो पास है उन्हे दूर रख कर जो दूर के परिंदे है उन्हे ही समझ लेने कि दुनिया को कितनी आदत होती है पास जो चीज है उसकी उतनी अहमियत नही होती है
काश कि पास कि चीज कि भी दुनिया मे उतनी ही अहमियत हो पाती तो शायद हमारी दुनिया बहोत बडी जन्नत हो जाती है
पर चाहत तो उडते परिंदों कि ही लोगों को जाती है जिसे डाल से ज्यादा घर कि कहाँ अहमियत होती है यही तो जीवन कि उलझन होती है
दुनिया को जिस चीज को समझ लेने कि जरुरत होती है वह चीज छोड कर दुनिया हर चीज को समझ लेती है दुनिया को समझ लेने कि जरुरत होती है
परिंदे से भी ज्यादा जीवन मे हमे साथ देनेवालों कि कहानी जरुरी होती है पर जीवन मे वह कहाँ हम समझ पाते है मुश्किल तो आती ही है
हम कहाँ दुनिया को समझा पाते है सही चीज से ज्यादा कोई चीज नही होती है और जो छोड चले हमको उनकी हमारी दुनिया मे अहमियत नही होती है
परिंदे तो उड जाते है जिनके पंखो मे ताकद होती है पर क्या हमारे जीवन मे हमारे घर कि डाली इतनी ही किंमत होती है
जीवन मे हर बार हमे हर चीज कि किंमत तय करनी होती है क्या जरुरी है क्या नही यह हमारी सोच होती है अपनी पसंद होती है
हमे जीवन को परख लेने कि हर बार जरुरत होती है पर फिर मन को यह कहने कि चाहत होती है क्या डाल जितनी ही हमारे घर कि जरुरत होती है
फिर क्यूँ जो उसे छोड गये उनकी इतनी अहमियत होती है जो रुके हुए है उनकी इतनी कम अहमियत होती है
जो पास है उन्हे दूर रख कर जो दूर के परिंदे है उन्हे ही समझ लेने कि दुनिया को कितनी आदत होती है पास जो चीज है उसकी उतनी अहमियत नही होती है
काश कि पास कि चीज कि भी दुनिया मे उतनी ही अहमियत हो पाती तो शायद हमारी दुनिया बहोत बडी जन्नत हो जाती है
पर चाहत तो उडते परिंदों कि ही लोगों को जाती है जिसे डाल से ज्यादा घर कि कहाँ अहमियत होती है यही तो जीवन कि उलझन होती है
दुनिया को जिस चीज को समझ लेने कि जरुरत होती है वह चीज छोड कर दुनिया हर चीज को समझ लेती है दुनिया को समझ लेने कि जरुरत होती है
परिंदे से भी ज्यादा जीवन मे हमे साथ देनेवालों कि कहानी जरुरी होती है पर जीवन मे वह कहाँ हम समझ पाते है मुश्किल तो आती ही है
हम कहाँ दुनिया को समझा पाते है सही चीज से ज्यादा कोई चीज नही होती है और जो छोड चले हमको उनकी हमारी दुनिया मे अहमियत नही होती है
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