Tuesday 16 February 2016

कविता ५०५. कहना और करना

                                                कहना और करना
हर बार हमने जीवन कि जरुरत को समझ लिया है पर कभी कभी ऐसा भी लगता है सिर्फ आधा  सबक सीख लिया है
कितनी आसानी से दूसरे को बताते है पर खुद वही कहने से डरते है तभी मन कहता है खुदका कहना भी जीवन मे जरुरी होता है
जीवन कि अलग अलग राहों पर दुनिया कि बाते तो हमे आगे ले जाती है पर उनके साथ चलने से ही दुनिया बन पाती है
कह तो दिया  है बात को हमने पर जीवन मे कहाँ उसे कर पाते है बात को समझ लेने मे ही जीवन के अलग अलग एहसास हर बार होते है
जीवन को हर मोड पर समझकर आगे जाने कि जरुरत होती है जीवन मे हमे हर किनारे को समझ लेने कि हर बार जरुरत होती है
जीवन को समझ लेने कि मतलब दे जाने कि जीवन मे हर राह पर कुछ तो अहमियत होती है जो जीवन को आगे ले जाती है
जीवन कि चाबी तो हमारी दुनिया मे ही छुपी होती है जीवन को सही समझ देने कि हर मोड पर जरुरत हर बार होती है जो उम्मीदों कि दास्तान देती है
कहना तो आसान होता है पर करने के लिये हिंमत कि जरुरत होती है कहानी मे हर बार अलग अलग मतलब होते है जो एहसास देते है
कहना तो जरुरी होता है पर करना सबसे मुश्किल होता है यह हमने तब जाना जब करने कि कोशिश कियी है जो जीवन को मतलब दे जाते है
कहना और करना दोनों जरुरी होता है क्योंकि जीवन का कारवा सिर्फ तभी होता है जब कहने के साथ करना भी हमे आता है

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