Monday 1 February 2016

कविता ४७४. किनारों की शुरुआत

                                                              किनारों की शुरुआत
कुछ किनारों पर जीवन की कश्ती आसानी से चलती है उन किनारों से जीवन की नई कहानी अक्सर बनती है जिसे समझ लेने की जरूरत हर बार पड़ती है
किनारों पे जीवन के नये सहारे कुछ ऐसे दिखते है जिन्हे समझ लेने की जीवन में हर बार जरूरत पड़ती है जीवन की कश्ती उन्हें परख लेती है
पर बड़ा मजा तो तब आता है जब हमारी सोच जीवन की कहानी बनाती है जीवन में एक नई निशानी हर बार बनती है जीवन में नई उम्मीद जगाती है
जीवन की दास्तान हर बार हर मोड़ हमे सुननी होती  है जो जीवन को अलग अलग रंग हर पल देती रहती है जिसे समझ लेने की जरूरत हर बार होती है
किनारों पे दुनिया के कई सहारे तो होते है पर अक्सर जीवन में पानी में उतर जाने की प्यास जिन्दा होती है जो जीवन को रोशनी की उम्मीद हर मोड़ पर देती है
जीवन को जीते है तो उसमे किनारे हर बार दिखते है उन किनारों को समझ लेने की हमे मन के अंदर अलग प्यास होती है जो जीवन को एहसास देती है
जीवन को समझ लेते है तो जीवन में तलाश होती है जो जीवन की धारा को हर बार एहसास देती है जो हमें आगे ले जाने के जस्बात हर बार देती है
किनारों पर कुछ तो मतलब हर बार होता है जिसे समज लेने पर दुनिया कुछ अलग तरह का एहसास देती है नई खुशबू हमेशा जीवन में बिखेर देती है
किनारों को समझ लेने में एक अलग सोच जीवन की नई शुरुआत देती है जिसे उन किनारों पर जी लेने की एक अलग तलाश हर मोड़ पर रहती है
किनारों पर ही जीवन की कुछ अलग शुरुआत होती है जो हमें बताती है की जीवन के किनारे किस ओर से सही एहसास हर बार देते है 

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