Thursday 14 January 2016

कविता ४३९. पीछे छूटी हुई यादे

                                                             पीछे छूटी हुई यादे
हर फूल की खुशबू कुछ वक्त के बाद मिठी नहीं रहती जो चीज वक्त के साथ खो चुकी हो उसकी तलाश सही नहीं होती मन के लिए अच्छी नहीं लगती है
जब जब हम समज लेते है जीवन को हर मोड़ पर फिर भी जीवन की कोशिश काफी नहीं लगती है जीवन को समज लेने की कोशिश हर बार आसान नहीं होती है
जीवन की आगे जाने की चाहत हमें उम्मीद हर बार देती है पर पीछे रही चीजे मन से नहीं छूट पाती है जीवन की धारा तो आगे बढे बगैर पूरी नहीं  होती है
जीवन को समज लेने की कोशिश कई बार पीछे भी ले जाती है पर पीछे रुकने की आदत जीवन में प्यारी नहीं होती है उम्मीदे नहीं देती है
आगे जानेवाली धारा के संग ही जीवन की शुरुआत हर बार दुःख ही दे जाती है हमे जीवन में आगे जाने की जरूरत हर बार होती है
क्योंकि पीछे छुपी बाते  ही जीवन को उम्मीद नहीं देती है चाहे जितनी प्यारी हो या चाहे जितनी नफरत भरी हो पिछली बाते जीवन का बोज ही बनती है उम्मीद नहीं बनती है
जाने क्यूँ उन्हें भुला देने की जीवन में हर मोड़ पर जरूरत होती है तो याद तो उन्हें रखते है क्योंकि कुछ लोग यादों की उम्मीद ही होते है
पर फिर भी एक मोड़ पर जाने के बाद यादे भुला देने की जीवन में हर बार जरूरत नहीं होती है पर उन्हें आज ना समझ ले यही हर बार जीवन की जरूरत होती है
नई चीजे जीवन में हर बार आसानी से नहीं मिलती है पर पुरानी चीजों को जीवन में याद रखने से जीवन की शुरुआत सही नहीं होती है
हर बार नई चीजे समज लेने से जिन्दगी आसान होती है जो जीवन में हर मोड़ पर हर बार नया एहसास देती है वह शुरुआत पिछली बातों को याद करते रहने से कभी नहीं होती है
यादे तो जीवन का हिस्सा है पर अगर वह मन को बांध के रखे तो सही नहीं होती जो यादे आगे ले जाये वह जीवन की हर बार जरूरत बनती है

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