Tuesday 12 January 2016

कविता ४३५. जीवन में नई सोच

                                                             जीवन में नई सोच
हर बार जीवन में नई सोच जिन्दा तो हो जाती ही है जिसे समज लेने की जरूरत जीवन को हर बार होती है नई सोच जीवन को जिन्दा तो कर लेती है
हर सोच को समज लेने की जरूरत हर मोड़ पर होती है जीवन में हर बार दुनिया अलग रंगों में दिखती है पर उस सोच को समज लेने की हर बार जरूरत होती है
जीवन की धारा को परख लेने की जीवन को हर मोड़ पर जरूरत होती है जीवन में सोच हर मोड़ को बदलसा देती है जो जीवन को मेहनत का फल हर बार दे जाती है
जीवन में हर पल  पर कुछ ना कुछ असर तो होता ही है जब हमारी सोच बदलती जाती है जो जीवन को अलग एहसास दिलाती है जीवन को अलग रोशनी दे जाती है
जीवन के हर पल को समजे तो ही जीवन में नई रौनक मिल पाती है वह जीवन को कुछ अलग ही दिखा जाती है जो जीवन को नया सबेरा देती है
सोच ही तो हर मोड़ पर जीवन की ताकद होती है सोच तो जीवन को नई दिशा देती है जो हर पल हर मोड़ पर बदलती रहती है सोच के अंदर जीवन की आशा होती है
सोच ही हमारे जीवन की ताकद होती है जो हमें आगे हर बार ले जाती है सोच ही तो जीवन की शुरुआत होती है जो जीवन को नई उम्मीद देती है
सोच के अंदर ही विश्वास की डोर हर बार दिखती है जो जीवन की हर धारा को नया उजाला या फिर अँधेरा देती है सोच ही जीवन को बनाती है
पर अक्सर अनजाने में जीवन की सोच बन जाती है जो हर बारी हर मोड़ पर जीवन को नया एहसास दे जाती है जीवन की शुरुआत देती है
जीवन में ही तो आगे बढ़ने के लिए ही सोच हमे उम्मीद देती है पर अगर सही ना हो तो वही सोच हमारी उम्मीदे हर बार छिन लेती है 

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