Friday 22 January 2016

कविता ४५५. राह की शुरुआत नजर आती है

                                                        राह की शुरुआत नजर आती है
हर राह को समझ लेते है जिनमे अलग एहसास होते है जिन्हे जीवन की धारा में समझ लेना चाहते है राह तो अक्सर नई शुरुआत हमें बताती है
राह के अंदर जीवन की अभिलाषा मिलती है राह जो जीवन को नई किरण दे जाती है राह के भीतर जो भी मतलब छुपे रहते है
राह को समज लेना हर बार जरुरी होता है राह पर ही जीवन का एहसास जुदा लगता है पर जाने क्यूँ हर बारी राह में मुस्कान अक्सर आती है
जो जीवन को किसी मोड़ पर खुशियों का एहसास दे कर जाती है राह को परख लेते है तो वह एहसास अलगसा लाती है राह तो वह सोच है जो जीवन में जुदा हो जाती है
राह में अलग अलग रंग तो हर बार हर मोड़ पर दिखते है पर हमे जीवन में राहे आसानी से कहाँ समझ आती है राह तो वह सोच है जो उम्मीदे दे जाती है
राह के ऊपर नया ख़याल जीवन को रोशनी दे जाता है राह जिसे परख ले उसे समझ लेने की जरूरत नई होती है पर जाने क्यूँ राह बदलती रहती है
राह के अंदर अलग अलग सोच जीवन को नई धारा दे जाती है राह पर ही जिन्दगी जिन्दा रहती है पर जाने क्यूँ कभी कभी राह के बारे में सोचते सोचते ही जिन्दगी आगे बढ़ जाती है
राह के मजे लेने से ज्यादा राह की कमियाँ ही हमें नजर आती है रोको अपने आपको समझो तो जीवन में खुशियाँ आती है राह तो दोनों चीजे देती है
जीवन के अंदर राह की अलग अलग सोच हमेशा हमे उम्मीदे देती है जीवन में आगे ले जाने के लिए खुशियों को याद रखने की सोच जरुरी होती है
जीवन को परख लेते है तो राहे बदलती हुई नजर आती है क्योंकि राहों पर ही जीवन की नई शुरुआत होती है पर उनकी कमियाँ ढूँढने से जीवन में नई शुरुआत हमेशा दूर निकल जाती है 

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