Monday 4 January 2016

कविता ४१८ . दिन कि सोच

                                                     दिन कि सोच
पूरा दिन जाता है पर खुशकिस्मत हमारा वह दिन है जो हमे समज आता है दिन के हर कोने मे एहसास अलग पैदा होता है जिसे समज लेना जीवन को सोच अलग दे जाता है
जो दिन हमे सीधी राह दिखाए वह दिन आसान होता है पर फिर जाने क्यूँ मुसीबत पार कर के जो गुजर जाता है उसके अंत मे मुस्कान का एहसास हर बार जीवन मे होता है
दिन के अंदर अलग अलग मौकों मे जीवन का एहसास हर बार कुछ अलग ही होता है दिन कुछ अलग रंग दिखाता है तो ही जीवन आगे बढता है पर कभी कभी दिन अलग सोच भी दे जाता है
दिन मे ही जीवन कि सोच बदल लेने कि ताकद होती है पर कोई दिन ऐसा है जो हमारी दिशा बदल जाता है दिन के भीतर ही अलग सोच दिखती है उसका एहसास हमे भाता है
दिन एक जैसा नही होता वह कभी खुशी कभी गम लाता है दिन को समज लेना हमे हर बार अहम नजर आता है दिन गुजर जाते है बिना मतलब के तो जीवन मे कहाँ मजा आता है
दिन को समज लेना जीवन मे रोशनी लाता है दिन के हर पल मे जीवन बदलाव दिखाता है दिन तो पल पल कि कहानी हर बार बताता है दिन हर मोड पर एक अलग सोच दे जाता है
पर अगर दिन मुश्किल बन जाए तो दर्द बडा होता है क्योंकि दिन के अंदर तो खुशी या गम इस बात का राज हर बार छुपा होता है जो जीवन को आगे ले जाता है
दिन के अंदर यह ताकद  होती है जो जीवन को हर मोड पर सोच अलग  देता है दिन कि ताकद ही हर बार जरुरी और अहम होती है दिन ही तो हमे साँसे देता है
दिन ही जीवन कि सोच होता है दिन कि सुबह और रात होती है दोनों ही जीवन को प्यारी लगती है क्योंकि अच्छी और बूरी जीवन कि सोच हर बार होती है
दिन ही जीवन कि हर मोड कि उम्मीद होता है जो जीवन को हर बार आशा कि किरण दे जाता है क्योंकि दिन ही जीवन कि सच्ची उम्मीद दिल मे ही तो हर बार छुपी होती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१४६. सपनों को एहसासों की।

                               सपनों को एहसासों की। सपनों को एहसासों की कहानी कोशिश दिलाती है लहरों को इशारों की समझ सरगम सुनाती है उम्मीदों...