Tuesday 19 January 2016

कविता ४४९. मौसम के रंग

                                                                मौसम के रंग
मौसम हर बार अपना रंग बदलता है उसे समज लेने की शुरुआत हर बार जीवन को मतलब दे जाती है मौसम के अंदर ही तो दुनिया जिन्दा रहती है
मौसम जीवन को बदलाव देते है उन्हें परख लेने की चाहत भी होती है पर वक्त कहाँ है जीवन में जो मौसम की आहट सुनने की फुरसत मिलती है
मौसम तो हर बारी जीवन की धारा को बदलते जाते है वह कभी कभी हमें उम्मीदों के फूल तो कभी कभी काटे भी दे जाते है पर उनसे ज्यादा हमे अपने जीवन में बाकी चीजों की अहमियत लगती है
मौसम तो हमारी जरूरत है पर हमे उन्हें समज लेने की जरूरत नहीं लगती है मौसम तो वह चाबी है जो जीवन की गाड़ी चलाते है उन्हें समज लेने की फुरसत हमें नहीं मिलती है
मौसम की ताकद को तो हम मेहसूस हर पल करते है पर फिर भी उसे समज लेने की जरूरत हमें नहीं लगती है जिसे हम समज ले उसे परख लेना जरुरी है
पर बदलते रहनेवाले मौसम की अहमियत हमें नहीं समझ आती है उसे समझ तो हम हर पल लेते है जब उसके नतीजों से मुसीबत हम पे आती है
मौसम का बदलना जरुरी है पर उसके बदल जाने से जीवन की नई शुरुआत हमे नजर आती है मौसम के साथ हर बार हमारे जीवन की धारा बदलती जाती है
मौसम तो वही होते है जिनमे दुनिया अलग अलग नजर आती है मौसम के हर मोड़ पर जीवन की धारा तो बदलती रहती है उसमे सोच अलग नजर आती है
मौसम के साथ जिये तो दुनिया हर बार अलग दिखती है जिसे हम परख ले उस सोच में ही जीवन की नई धारा नजर आती है जो रोशनी दे जाती है
बदलाव तो मौसम का सच है जिस के कारण जिन्दगी बदल जाती है मौसम तो कई रंगों में जीवन को बदलते रहते है पर फिर जाने क्यूँ हमे उनकी अहमियत नहीं नजर आती है 

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