Sunday 31 January 2016

कविता ४७३. जीवन कि चाबी

                                                      जीवन कि चाबी
जीवन कि चाबी उस हँसी मे छुपी है जिसकी शुरुआत जीवन को कई एहसास दे चुकी है पर हर बार वह हँसी मे नही कभी कभी दूसरी सोच मे भी रखी है जीवन कि चाबी हमारे हर एहसास कि डोर बनकर हमारे विश्वास मे छुपी है
जिस सोच को परख लेना चाहते है उस सोच मे रहती है जीवन कि हर चाबी अलग अलग एहसास से बनी है एक बात मे नही जीवन कि कहानी कई बातों मे सुनी है उन बातों को समझ लेने कि चाहत मे दुनिया बनी है
जिसे समझ कर जीवन कि कश्ती आगे बढती है उस सोच मे ही नही पर कभी कभी अनसुनी कहानी मे ही जीवन कि बाते हमने सुनी है जब किसी कहानी को समझ लेते है तो उसकी निशानी जीवन मे बनी है
ऐसी ही कई कहानियाँ मिलाकर जीवन कि कहानी बनी है जिस चाबी को समझ न पाये उसी मे जीवन कि दास्तान बनी है जिसे परख लेते है तो जीवन कि नई आवाज हमने सुनी है उस कहानी को परख लेते है
पर जब तक वह कहानी न बनी हो हमे जीवन कि समझ कहाँ मिली है जिसे परख लेते है वह चाबी हमने जीवन मे हर वक्त सुनी है उसके अंदर दास्तान सुनी है जो जीवन कि आवाज बनकर बहती है यह सोच हमने हर बार सुनी है
जब जीवन कि सोच संग चले तो जीवन मे एक अलग कहानी बनी है जिसके अंदर हर बार जीवन कि कोई अलग राह हमने सुनी है जीवन कि चाबीयों को कुछ इस तरह से छुपाकर कुदरत जीवन मे चली है
उन्हे ढूँढते ढूँढते दुनिया कि हर निशानी कुछ अलग ही बनी है जिसे समज लेने कि जरुरत हमने हर बार सुनी है उसे परख लेने से ही हमारे जीवन कि पुरी दास्तान बनी है जीवन कि निशानी उस सोच से बनी है
जिसे समज लेने तो चाहते है हम पर अक्सर उसकी कहानी हमने दूसरों के जुबानी सुनी है जिसकी हर बार पर कुछ निशानी बनी है जिसे समझ लेने से ही हमारी ताकद और हौसले बढे है उस सोच से कहानी बना लेना एक जरुरी निशानी दिखी है
जीवन कि चाबी को हम समझ नही पाते उसी बजह से जीवन कि कहानी बडी सुहानी बनी है जिसे समझ लेने कि जरुरत हमारे जीवन कि निशानी बनी है क्योंकि हर सोच को हम परख नही पाते है
पर ऐसी ही किसी सोच मे भी जीवन के कहानी के कुछ हिस्से छुपे है उन्हे तलाश लेना ही जीवन कि एक कहानी बनी है जो हर पल हमे चोट दे जाते है ऐसे ही कुछ किस्सों कि दिलचस्प कहानी बनी है

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