Saturday 23 January 2016

कविता ४५६. नाव की किस्मत

                                                              नाव की किस्मत
जहाज तो वह है जिसे लहरों पर चलने की आदत होती है लहरों के साथ जिसकी दुनिया बदलती रहती है लहरों पर बदलाव जीवन का बदलाव उसे एहसास देता है
लहरे ही तो जीवन की धारा को हर बार तय करती है लहरे बदलती रहती है उनके साथ दिशा हर बार नया एहसास देती है जब लहरों पर अलग एहसास जीवन में नई सोच देता है
जहाज तो लहरों पर कुछ तो इस तरह से चलता है की हर राह पर वह जीवन में बदलता जाता है जीवन के अंदर जहाज की बदलती दिशा हर बार असर कर जाती है
लहरों को समझ लेने से तो जहाज की किस्मत तय होती है पर हमे समझ लेने की जरूरत है हम जहाज नहीं है हम तो जहाज चलानेवाले नाविक है
हम चल सकते है अलग अलग तरीकों से क्योंकि बदलाव दुनिया की जरूरत होती है नाविक ही तय करते है जहाज को आगे ले जाना जरूरत होती है
जब जब नाविक चलता है तो वह तय करता है अपनी दुनिया के रास्ते वह समझ लेता है झुंजता रहता है वह लहरों से हर बार लढता है जीवन में लहरों से लड़ता है
जीवन के अंदर नई शुरुआत जीवन में उम्मीदे देती है लहरों के साथ हमे नई जंग की हर बार वह शुरुआत करता है उनके साथ कभी उनके खिलाफ जीवन असर करता है
जीवन में आगे जाते रहना जीवन की जरूरत होती है जो जीवन में हमें एक दूजे के संग और खिलाफ लेकर जाती है जो जीवन को अलग एहसास देती है
जीवन में बदलाव की जरूरत होती है आगे पीछे बढ़ने की धारा अपनी सोच से ही बनती है जीवन को समझ लो तो दुनिया अलग असर करती है
एक नाव ही लहरों के साथ जीवन में आगे बढ़ती है पर नाविक के हाथ में उसकी किस्मत होती है नाविक के मर्जी से उसकी दुनिया बढ़ती है उसकी किस्मत दर्या से ज्यादा उप्परवाले के हाथ में होती है 

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