Friday 15 January 2016

कविता ४४०. हर कदम पर जीवन

                                                            हर कदम पर जीवन
हर कदम पर जीवन में कुछ रंग अलग से दिख जाते है जिन्हे समज लेने की कोशिश में हम हर बार दिशाए  भुला  देते है जब जब हम जीवन को समझे नतीजे अलग नजर आते है
हर कदम पर हम राह को कुछ अच्छे से समझ लेते है पर कभी कभी कोई बात जो हम जीवन में भुला देते है उस सोच को समझ लेने की उम्मीद हर बार हम पाते है
पर जब कोई जरुरी सीख हर बार हम राह में भूल जाते है जो जीवन को मतलब हर मोड़ पर अलग सोच दे जाती है जीवन की धारा को आगे बढाती जाती है
जिसके भीतर कोई सोच तो जीवन में सारे असर जीवन के अंदर नई शुरुआत दे जाते है उन्हें समज लेने से ही जीवन में अलग राहे हर बार नजर आती है
कदम तो जीवन को मतलब देते है पर उन्हें समज लेना अक्सर जरुरी होता है क्योंकि कदमों की आहट से ही तो दुनिया का रंग हर बार बदलता रहता है
जिस धारा में हम अपनी जिन्दगी गुजार लेते है उस धारा को हर पल समज लेते है हर कदम को समज लेते है जिन्हे हम हर पल जीना चाहते है कदमों में जीवन बना लेना चाहते है
जीवन के हर कदम में हम अलग अलग खयाल जीवन में नया असर देते है पर जब पुराने खयाल जीवन में आगे ले जाते है उन्हें हम हर मोड़ पर समज लेना चाहते है
कदम के अंदर अलग मतलब हर बार साँसे दे जाते है पर कभी कभी पुरानी बातों से ही जीवन में अलग एहसास आते है जो जीवन की दिशाए हर बार बदल देते है
हर बार कदम तो जीवन को आगे ले जाते है कदमों में जीवन के मतलब हर बार आते है पुरानी चीजे कुछ कदमों के बाद हमें आगे ले जाती है अगर वह सीख हो तो बड़ी काम आती है
पुरानी चीजे ही जीवन में नई शुरुआत दे जाती है पर अगर सिर्फ एक याद हो तो कुछ पल बाद उसे पीछे छोड़ कर आगे बढ़ जाना ही जिन्दगी को मतलब दे जाती है 

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