कुदरत का हिसाब
हवा जो हमें समझ पाती है वह एक बात तो हम समझ गये है वह कहती है सबको एक ही तरह से छू कर सभी एक ही जगह में रहते है एक ही हवाओं में होते है
बड़े हो या छोटे हो पर जो अदब से पेश आते है वही दुनिया को आगे ले जाने की कोशिश करते है पर अक्सर यह हो जाता है हम जब चोट खाते है चिल्ला उठते है
पर क्या करे हम इन्सान है अभी गमों को सहना नहीं सीख सके पर बड़ी अचरज की बात है की गम देनेवाले कितने आसानी से गम देना सीख लेते है
जिसे हमें समझ लेने की जरूरत है वह बात हम कहाँ समझते है की गम जो देता है जीवन में उसे भी गम के पहाड़ तो उठाने ही पड़ते है वह जीवन में उलझन देते है
हवा यही बताती है वह सही के साथ तो होती है पर हम जाने क्यूँ उस बात का अफ़सोस करते है की गम देनेवाले भी उसी हवा पर जीते है
जैसे उस उप्परवाले का इशारा हो वह हमें बताता हो की मुसीबत वह नही पर हम ही पैदा करते है जिसके कारण हर बार हम चोट खाते रहते है
जीवन की हर धारा को अलग अलग सोच से हम समज लेते है अगर जीवन को समज ले तो हम गम के भी जिम्मेदार ही होते है
जो गम दे उस से हम कितना भी किनारा करे पर वह भी इन्सान ही होते है और उनके हर हरकत के लिए हमें ही जवाब देने होते है
हम चाहे या ना चाहे पर कुदरत का यही इन्साफ होता है एक गलत फल होतो हरजाना पूरी टोकरी को भरना पड़ता है कुछ कहते है उसे फेक दो पर यह बड़ा ही मुश्किल है
क्योंकि जब तक हमारा ध्यान जाये अक्सर दूसरे किसी फल पर असर तो उसका दिखता है तो बेहतर तो यह होता है की हम वक्त पर ही उसे रोक ले पर यह बड़ा ही मुश्किल है
क्योंकि अक्सर लोग उस फल को निकल देने की जल्दी में सही फल को ही टोकरी से निकाल देते है और दूसरे सड़े फल को उसकी जगह रख देते है
यह सारे जीवन के फेरे लगते है जो चलकर ही सीखने होते है जो हमें आगे ले जाते है और मुसीबत के बाद ही हमे खुशियाँ देते है
हवा जो हमें समझ पाती है वह एक बात तो हम समझ गये है वह कहती है सबको एक ही तरह से छू कर सभी एक ही जगह में रहते है एक ही हवाओं में होते है
बड़े हो या छोटे हो पर जो अदब से पेश आते है वही दुनिया को आगे ले जाने की कोशिश करते है पर अक्सर यह हो जाता है हम जब चोट खाते है चिल्ला उठते है
पर क्या करे हम इन्सान है अभी गमों को सहना नहीं सीख सके पर बड़ी अचरज की बात है की गम देनेवाले कितने आसानी से गम देना सीख लेते है
जिसे हमें समझ लेने की जरूरत है वह बात हम कहाँ समझते है की गम जो देता है जीवन में उसे भी गम के पहाड़ तो उठाने ही पड़ते है वह जीवन में उलझन देते है
हवा यही बताती है वह सही के साथ तो होती है पर हम जाने क्यूँ उस बात का अफ़सोस करते है की गम देनेवाले भी उसी हवा पर जीते है
जैसे उस उप्परवाले का इशारा हो वह हमें बताता हो की मुसीबत वह नही पर हम ही पैदा करते है जिसके कारण हर बार हम चोट खाते रहते है
जीवन की हर धारा को अलग अलग सोच से हम समज लेते है अगर जीवन को समज ले तो हम गम के भी जिम्मेदार ही होते है
जो गम दे उस से हम कितना भी किनारा करे पर वह भी इन्सान ही होते है और उनके हर हरकत के लिए हमें ही जवाब देने होते है
हम चाहे या ना चाहे पर कुदरत का यही इन्साफ होता है एक गलत फल होतो हरजाना पूरी टोकरी को भरना पड़ता है कुछ कहते है उसे फेक दो पर यह बड़ा ही मुश्किल है
क्योंकि जब तक हमारा ध्यान जाये अक्सर दूसरे किसी फल पर असर तो उसका दिखता है तो बेहतर तो यह होता है की हम वक्त पर ही उसे रोक ले पर यह बड़ा ही मुश्किल है
क्योंकि अक्सर लोग उस फल को निकल देने की जल्दी में सही फल को ही टोकरी से निकाल देते है और दूसरे सड़े फल को उसकी जगह रख देते है
यह सारे जीवन के फेरे लगते है जो चलकर ही सीखने होते है जो हमें आगे ले जाते है और मुसीबत के बाद ही हमे खुशियाँ देते है
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