Saturday 9 January 2016

कविता ४२९. हर राह कि रोशनी

                                           हर राह कि रोशनी
हर राह पर जब जब हम चले रोशनी तो मिलती है रोशनी तो हर बारी उजाले कि ताकद देती है राह हमेशा छोटीसी और कमजोर दिखती है उस ताकद को समज ले तो उसमे उम्मीद होती है
रोशनी ही तो वह दिशा है जो आगे ले जाती है रोशनी ही जीवन को मतलब देती है पर राह पर कहाँ रोशनी मिल सकती है यह चीज कहाँ समज आ सकती है इसीलिए तो हर बार राह चलनी पडती है
राह तो जीवन को नया मोड हर बार देती है कुछ पल चलने के बाद आगे बढने का मौका हर बार आता है जो जीवन को मतलब कई बार दे जाता है उस मोड को समज लेने कि हर बार जरुरत होती है
राहों पर अलग अलग किनारे हर बार होते है जो राह को नये मतलब सीखा जाते है क्योंकि राह ही तो जीवन को अलग एहसास दे जाती है पर उस कदम तक जाना थोडा मुश्किल होता है
जिसे समज लेने के लिए उस कदम तक ले जाने कि जरुरत हर बार होती है राह पर हर मोड पर अलग सोच जिन्दा होती है उस राह पर जीवन को ले जा कर ही कुछ उम्मीद मिल पाती है
राह पर अलग किसम के मतलब रखे हुए हर बार होते है जो जीवन को अलग शुरुआत देते है पर उस मोड पर जीवन को परख लेना हर बार जरुरी होता है
पर कई बार उस मोड से पहले ही थक जाते है वही तो हम जीवन कि सबसे बडी गलती कर जाते है हम जीवन को समज लेना भूल जाते है जिसके बजह से हम जीना भूल जाते है
राह को हर बार अलग मतलब उस पर मेहनत से चलने से ही मिलता है राह तो बस घुमती रहती है पर उसमे कई बार राज छूपे होते है जो जीवन को उम्मीद दे जाते है
राह पर अलग बात अक्सर असर कर जाती है पर उसे समज कर ही जीने कि जरुरत होती है राह ही कई मोडों से बनी हुई होती है राह पर कुछ कदम चल कर देखो तो ही दुनिया मिलती है
राह ही तो कभी ना कभी सही उम्मीद जताती है वही तो जीवन को कुछ दिलाती है पर अक्सर उस मोड तक जाना जरुरी है क्योंकि वही तो जीवन कि सही शुरुआत होती है

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