Friday 8 January 2016

कविता ४२६. खुद कि सोच

                                            खुद कि सोच
हर बार हम यह नही सोचते है कि जीवन कि आसान भी कोई राह जरुर होती है पर जाने क्यूँ उन्हे हम नही पाना चाहते है जाने क्यूँ जीवन को हम मन से जीना चाहते है
आसान नही होती वह राह जिसे हम जीना चाहते है क्योंकि हर बार हम अपने दम पर चलना चाहते है अपने जीवन को परख लेना चाहते है पर अपनी मर्जी से जीना चाहते है
जीवन कि हर धारा को समज लेना चाहते है पर अपने मन से ही तो हम जीवन मे जीना चाहते है उस खयाल को जिसे हम सही समज लेते है उसे कहना आसान नही होता है
क्योंकि अपने खयालों का रस्त्ता तो अक्सर मुश्किल का होता है जो जीवन को अक्सर मुसीबते दे जाता है कभी कभी उसे छोड देना भी जीवन को जीवन नही रख पाता है
बिन साँसों के क्या हमारी जिन्दगी होती है बिना अपनी सोच कि क्या जीवन कि कभी कोई शुरुआत होती है जो जीवन को आगे ले जाती है अपनी सोच ही हर बार जरुरी होती है
अपनी सोच तो अक्सर अपनी ताकद होती है जो जीवन को मतलब दे जाती है वह सोच कितनी मेहनत हर बार बताती है वह सोच ही जीवन कि जरुरी नजर बन जाती है
अपनी सोच ही जीवन को अलग उम्मीद देती है जो जीवन को अलग एहसास दे जाती है सोच को अपने दम से ही आगे ले जाने कि हर बार जरुरत होती है
सोच को अलग अलग मोड से समज लेने कि जीवन मे हर राह पर अहमियत होती है उस सोच कि जो अक्सर हमारी अपनी होती है जो जीवन को हर बार रोशनी देती है
खुद कि सोच को जब हम आगे ले जाते है तभी तो जीवन मे हमारी कुछ किंमत होती है क्योंकि जीवन मे हर पल आगे बढ जाना हमारे जीवन कि हर बार जरुरत होती है
अपनी सोच ही अपनी जरुरत होती है वह सोच हर बार मुश्किल होती है सोच जब अपनी हो तो हर बार मुश्किल से ही जीत मिलती है क्योंकि अपनी सोच सबसे पहले लोगों को समझानी पडती है

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