Wednesday 30 December 2015

कविता ४०८. दो तरफा दुनिया

                                                   दो तरफा दुनिया
रात जो जीवन पर अलग असर करे वह जीवन कि धारा को रोशनी दे जाती है रात तो बस अंधेरा देती है पर वह रात तो जीवन को आराम भी हर पल दे जाती है
रात का अंधेरा हर पल जीवन को मतलब अलग दे जाता है क्योंकि रात को नींद कि तस्सली और हर बार जीवन को शांती दे जाता है जीवन मे नये दिन के लिए उम्मीद दे जाता है
अंधेरा भी जरुरत ही होता है कभी कभी उजाला जीवन को मतलब दे जाता है उजाला भी जीवन मे ज्यादा हो जाए तो मन को चुभता है क्योंकि कभी ना कभी आँखों कि ठंडक को मन मेहसूस करता है
रात को सो जाना जीवन मे जरुरी होता है उन्हे समज लेना अहम नजर आता है रात का अँधियारा ही तो हमे नींद दे पाता है रात को समज लेना हर बार जरुरी होता है
रात ही तो जीवन को मतलब दे जाती है वही हमे अक्सर आराम दे पाती है रात के अंधेरे मे ही जीवन कि जरुरत होती है जब अंधेरा चुभता है तो ही रोशनी जरुरी लगती है
रोशनी को परख लेने कि जीवन मे अहमियत होती है अंधेरे से भी दोस्ती कभी कभी अच्छी लगती है क्योंकि वही तो हमे सोने का मौका देती है अंधेरे कि जरुरत होती है
कोई भी चीज जरुरत से ज्यादा हो तो अलग चीज कि हर बार जरुरत होती है माना कि सुबह प्यारी लगती है पर थोडे देर के बाद रोशनी को भी अंधेरे कि जरुरत होती है
जीवन मे हर बार हम कितना भी रोशनी को चाहे अंधेरे कि कुछ कदमों के बाद जीवन मे जरुरत लगती है अंधेरे को समज लेना जीवन कि जरूरत होती है
अंधेरे जितनी ही हमे रोशनी कि जरुरत होती है जीवन को दोनो चीजों कि हर बार हर एक मोड पर जरुरत होती है अंधेरे और उजाले दोनों से ही दुनिया बनती है
जीवन कि धारा दोनो तरफ से बहती है वह दुनिया के अलग अलग रंग दिखाती रहती है इसलिए जीवन मे दोनों कि हर बार हर मोड पर जरुरत होती है क्योंकि अंधेरा एक तरफ दुसरी तरफ रोशनी होती है

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