Sunday 27 December 2015

कविता ४०३. हर एक सोच

                                      हर एक सोच
हर सोच से ज्यादा कुछ सच्चाई मन को इस तरह से छूँ जाती है जीवन कि हर एक उलझन सुलझी हुई नजर आती है जिस सोच को परखे उसके अंदर नई सुबह सी आती है
जो चुप के से अंधियाँरों को लेकर एक नई सुबह दे जाती है सोच के अंदर हर बारी अलग कहानी नजर आती है जिसे समज लेते है तो जीवन कि धारा बदलती जाती है
जब जब जीवन मे सोच बने मिसाल अलग दिखाती है पर बिन सच्चाई के जो सोच आगे बढ जाए वह जीवन मे अलग खयाल लेकर आती है जिसे जीवन मे समज लेते है
वह सच्चाई ही जीवन कि ताकद होती है जीवन कि कहानी तो वह है जो जीवन को अलग रंग देती है सोच तो कई कोनों से हो कर जाती है नई शुरुआत जहान मे देती है
जब सच्चाई को परख लेते है तो जीवन कि अलग शुरुआत होती है राहे कई होती हो पर जीवन मे खयाल कई बार अलग अलग तरह के आते है जो रोशनी दे जाते है
सोच तो जीवन को मतलब हर बार दे जाती है उस सोच से ही दुनिया होती है पर जब सच्चाई अलग रंग दिखाए दुनिया बदल ने कि जरुरत पडती है जीवन मे रोशनी मिलती है
सोच को अलग अलग खयाल हर बार सच्चाई ही देती है सोच तो उस दिल कि पुकार है जिसे सच्चाई रोशनी देती है सोच ही तो जीवन मे कई तरह के मतलब अक्सर देती है
सच्चाई तो जीवन को ताकद कई बार देती है उस समज लेने मे ही कई बार गलती हो जाती है उसी पल सोच गलत बन जाती है फिर वह कुछ भी हो जीवन मे सही नही बन पाती है
सोच तो ताकद होती है जो हर पल हमे उम्मीद दे जाती है पर अगर गलत हो तो जीवन को वह बस मुश्किल दे जाती है कितनी भी ताकद उसमे हो फिर भी वह जीवन मे तुफान लाती है
पर यह तो आप क्या चाहते है हम तो बस जीवन मे उम्मीदे हर बार चाहते है जिनमे हम जीवन कि खुशियाँ पाते है क्योंकि नकली सोच से उम्मीदे नही मिलती है तुफान से प्यारी हमे धीमी कश्ती लगती है

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