Wednesday 9 December 2015

कविता ३६६. हमारी सोच

                                     हमारी सोच
चलते हुए कुछ हर राह सही नहीं उसी तरह से चाहे जितना समज ले लेकिन हर राह आसान नहीं होती है पर चलते समय जीवन कि मुश्किल अपने आप आसान नहीं होती है
चलना राहों पर हर बार सही दिशा नहीं देता है हर कदम के अंदर राहों का नया एहसास होता है जिन्हें समज लेना जीवन मे अलग अलग एहसास दे जाता है
राहों से ही तो जीवन मतलब देता है पर सही और आसान राह बड़ी मुश्किल से जीवन मे मिलती है उसे समज लेना जीवन कि बड़ी मुश्किल होती है
राह के अंदर जीवन को समज लेना जीवन कि मजबूरी नहीं होती है पर ज़रूरत तो हर बार महसूस होती है राह मे अलग अलग सोच हर बार चलती रहती है
राह पर जीवन कि हर सोच अलग अलग तरह के असर हर बार जीवन पर कर देती है जिसे समज लेना जीवन कि ज़रूरत होती है राह तो हर बार उम्मीद देती है
जीवन कि अलग अलग राहे हर बार उम्मीदें दे जाती है जीवन को असर हर बार दे जाती है राहों पर रंग अलग हर बार दे जाती है राह ही तो जीवन बनाती है
राह ही किसी पल साथ देती है तो कभी उंगली छुडा लेती है क्यो डरे हम राहों से जब वह सिर्फ़ हमारी सोच कि मोहताज होती है राह बदल जाती है पर हर बार वह उम्मीद भी दे जाती है
हमे सिर्फ़ अपनी सोच पर भरोसा करना है क्योंकि सोच ही तो जीवन को उम्मीद देती है सोच हमे हर मोड़ पर आगे ले जाती है वह राह को हर बार मतलब देती है
राह जो जीवन को सही समज दुनिया मे देती है वह राह ही तो जीवन का मक़सद हर बार बन जाती है राह जो जीवन मे जुनून दे जाती है राह को समज लेने से जीवन मे वह मतलब दे जाती है
राह तो बस हमारी सोच है उस सोच से आगे बढ़ो क्योंकि वही राह बनाती है सोच को समज लेते हो तो कुछ पलों मे ही दुनिया आसान बन जाती है राह हमारी दुनिया बनाती है

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