Thursday 31 December 2015

कविता ४१०. गीत का मतलब

                                              गीत का मतलब
गीत जो हमने सुने है वह हमारे लिए मतलब देते है पर कई बार लोगों के लिए गीत बस लोगों को बहलाने कि बजह होते है हम जो कहते है वह करने कि कोशिश तो हम करते है
पर लोग तो बस बाते यूँही करते है गीत मे कहाँ उन्हे कोई मतलब दिखते है वह तो बस वक्त आगे ले जाने के लिए गीत गाते है या फिर लोग का ध्यान लाने के लिए गीत गाते है
गीत जो मेहनत से गाते है वह भी कभी कभी मतलब को भुला के गाते है हर गीत के सूर तो परख लेते है वह गीत तो जीवन को मकसद दे जाते है गीत हमारा जीवन बनाते है
गीत के हर अल्फाज मे जीवन को मतलब तो मिलता है पर हम कहाँ समज पाते है कुछ लोगों के लिए वह बस गीत ही होते है गीत अपने अंदर अनजानी ताकद पाते है
गीत मे जो जीवन कि धारा होते है उन्हे समज लेना हम अहम पाते है गीत के अंदर संगीत कि नई लकीर हम रखते है गीत को समज ले तो उसमे जीवन के मतलब होते है
गीत मे ही तो जीवन कि उमंग हम रखते है गीत मे जीवन का मतलब हम समज लेते है पर लोग कहाँ गीतों कि ताकद पर मरते है गीत ही तो जीवन को संगीत देते है
गीत के अंदर नया असर हर बार नई सोच जीवन को मतलब दे जाती है गीत के अलग अलग एहसास जीवन को मतलब तो वही दे जाते है जो राह जीवन कि बदलते है
वह गीत मन को छू जाते है पर अक्सर देखा है हम गानेवाले भले उनकी कदर ना करे पर हम उन गानों से आगे चलते जाते है गीत के अलग मतलब बाहर निकल आते है
गीत के अंदर हम अलग एहसास देखते है पर हर बार गीत जो हमे समजे वह गीत जब समज लिया है इसलिए हम ही उस गीत को मन से समज लेते है
गीत को मतलब तो उन्हे समज लेने कि ताकद देती है गीत के अंदर अलग अलग सोच जीवन मे अलग एहसास देती है पर गीत को जो समजे तभी उनमे ताकद होती है

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