Tuesday 8 December 2015

कविता ३६४. अधूरी कहानी से शुरुआत

                                  अधूरी कहानी से शुरुआत
कभी कोई बात जो अधूरी रह जाये तो जीवन कि नई शुरुआत होती है क्योंकि उसी अधूरी बात से फिर से हमारी कहानी बनती है जिसे हम समज लेते है वह नई शुरुआत देती है
अफ़सोस क्यो करे अधूरी कहानी अगर फिर से वह नया एहसास देती है ज़रूरी तो वह कहानी होती है जो अपनी किस्मत कलम बनकर लिख जाती है
पर कैसे समज ले हम कहानी को जो जीवन को नई दिशा दे जाती है नई साँसें दे जाती है वही तो जीवन को अलग शुरुआत देती है जब हम जीवन को नये तरह से जियें वह मौका देती है
हर बार अधूरी हो कर भी वह कहानी जीवन कि नई शुरुआत होती है जिसे हम जीवन मे परखे वह जीवन का अलग एहसास देती है जिसे हर बार समज ले वही जस्बात देती है
जिसे समज ले हम हर मोड़ पर वह आसान नहीं पर मुश्किलसी शुरुआत हर बार देती है क्यो कतराये जीवन मे जब वह नई सुबह का एहसास भी लाती है
आधी अधूरी होकर भी वह कहानी ताकद कुछ ख़ास रखती है जो जीवन के हर मोड़ को हर बार समज लेती है ऐसी भी वह कहानी हर बार लगती है
अधूरी कहानी जो जीवन मे सिर्फ़ अधूरी रहनेवाली होती है वही अक्सर जीवन को आगे ले जाने कि ताकद हर बार रखती है अधूरी समज कर रुकी हुई कहानी फिर से बनती है
अधूरी सोच को कहना हर बार साँस दे जाती है हर कहानी को समज लेना जीवन मे अलग एहसास देता है अधूरी कहानी से जीवन को मतलब दे जाता है
अधूरी चीज़ें ही जीवन को पूरी करती है अधूरी कहानी से नया एहसास हमे जीवन मे अलग सोच लाता है जीवन मे अधूरी कहानी भी जीवन को आगे ले जाती है
अधूरी कहानी जीवन कि नई शुरुआत देती है तो उस कहानी से क्यो कतराये जिसे हम अच्छे से फिर से जी सकते है क्योंकि पूरी करने के लिए ही तो अधूरी कहानी होती है

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