Monday 28 December 2015

कविता ४०५. जीवन मे असर

                                                   जीवन मे असर
बार बार जीवन मे अलग अलग असर तो होते है जो जीवन को अलग पेहचान देते है जीवन कि धारा अलग मोड पर तो हर बार मिलती है जो जीवन को अलग मतलब दे जाती है
जीवन के किनारे जो अलग तरह के मतलब दे जाते है जिन्हे समज ले तो जीवन मे लोग कुछ अलग ही एहसास दे जाते है हर किनारे पर हम अलग जीवन पाते है
हर बार जीवन के मतलब को बदल लेते हुए पाते है जीवन मे एक अलग कहानी हम हर बार सुनाते है जिसे परख लेना चाहते है जीवन को हर बार नई सोच वह दे जाते है
जीवन को हम हर बार अलग तरीके से समज लेते है जीवन कि हर कहानी अलग मतलब दे जाती है उसे समज लेने कि सोच अलग हम हर बार पाते है
जीवन के हर किनारे को हम कुछ अलग मकसद दे जाते है जिसे परख लेना हम कुछ मुश्किल से ही हर बार पाते है क्योंकि जीवन कि कहानी कुछ अलग ही हम हर बार पाते है
और हर बार उसे कहाँ हम चाहते है कई बार हम उसे अनदेखा करना चाहते है पर जीवन तो एक ऐसी धारा है बहना ही जिसका हर बार काम होता है
पर प्यारी चीजों से जीवन दूर कहाँ बहना चाहता है जीवन कि चाहत तो हर पल उनके पास रहना होती है जीवन को नई राह तो चुननी ही होती है
जीवन को मतलब देने के लिए दुःखों कि कई बार जरुरत होती है इसलिए तो जीवन को तो चोटों कि आदत होती है पर फिर भी नजर हर बार उनसे कतरा जाती है
जीवन को तो हर बार जीना अहम होता है उसके दुःखों को आना हर बार होता है क्यो कतराये उस से जब उनमे जीवन का एहसास होता है उसी मे जीवन का अलग एहसास होता है
जीवन मे सुख और दुःख दोनों का एहसास होता है पर जाने क्यूँ मन सिर्फ खुशियों को करीब रखकर हम जीवन मे हर पल उनके खातिर हर बार रोते रहते है और अपने खुशियों को खोते रहते है

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