Tuesday 8 December 2015

कविता ३६५. गीत के अंदर कि साँसें

                                      गीत के अंदर कि साँसें
गीतों के अंदर एक प्यास अलग सी होती है जब मन से गुनगुनाते है तो मन कि आवाज़ अलग होती है जिसे परख ले उस सोच मे साँसें जिन्दा होती है मन कि बात है मन ही जाने मन कि प्यास अलग ही होती है
जीवन के हर गीत का संगीत साँसों से ही बनता है जिसे परख लेना और पाना जीवन को उम्मीद अलग ही देता है उस गीत कि हर धारा अलग ही होती है
जिसे समज लेते है हम वह सोच किनारा अलग ही देती है जो चीज़ मन का दर्पण बन जाये वह चीज़ अलग ताकद रखती है जीवन के अंदर वह सही रस दे जाती है
गीत जो जीवन को जिन्दा कर दे उसके अंदर मन कि साँसें जिन्दा होती है जिसे परख लेते है हम उस गीत मे दुनिया जिन्दा हर मोड़ पर होती है जिसे जिये उस सोच कि नई दिशा होती है
गीतों के अंदर मतलब जो छुपे है जिनमें दुनिया जिन्दा होती है या फिर शायद उन मतलब को समज लेने के लिए ही गीत जिन्दा होते है जिन्हें परख लेते है हम जीवन मे वह ख्वाब तो ख़ुशियाँ देते है
गीत जो मतलब हमे देते है वह जीवन को अलग किसम कि ख़ुशियाँ हर बार दे जाते है गीतों मे मन का हर मतलब छुपा है वह साँसें अलग ही जीवन हर बार दे जाती है
सारे गीत जो मिल जाये तो जीवन का हाल सुनाते है पर एक जीवन ही समज लेना इतना मुश्किल है तो सभी जिन्दगीयों को हम कहाँ समज पाते है जो मन को उम्मीदें देती है उस धारा को समज लेते है
गीतों के अंदर अलग कुछ तो मतलब छुपे होते है जो जीवन को उम्मीदे दे जाते है जीवन के अंदर अलग राह दे जाते है गीत जो हमे जीवन देते है वह सच्ची सोच से ही बनते है
साँसें ही तो जीवन को मतलब दे जाती है गीतों मे अलग एहसास हर बार लाती है क्योंकि साँसें ही तो जीवन का एहसास बन जाती है जब वह गीतों से जुडती है आवाज़ बन जाती है
गीत तो वह है जो जीवन को मतलब हर बार दे जाते है हर लब्ज के अंदर वह अलग एहसास तो हमे हमारी साँसें ही हर बार देती है वह हमे अलग उम्मीद हर बार दे जाती है

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