Saturday 28 November 2015

कविता ३४४. तितली के पंख

                                         तितली के पंख
हर बारी तितली का उड़ जाना ख़ास नहीं होता हम इन्सान है मजबूती तो होती है उसे बिन परखे आगे बढ़ जाना जीवन का सही एहसास नहीं होता है
कभी नाज़ुक कभी मासूमीयत को रखते हुए जीवन मे मजबूती से चलना भी ज़रूरी होता है सिर्फ़ पंखों के नाजूक रूप को देखकर मन मे डर जाना सही नहीं होता है
तितली के पंख मज़बूत नहीं होते है पर हमारे पंख मजबूती से आगे बढ़ सकते है तितली को जीवन मे हर बार नई पेहचान नहीं मिलती है जीवन मे हर बार आस नई बनती है
पंखों को अगर मज़बूत बना देते हो तो जीवन कि आवाज़ नई बनती है जो जीवन को अलग ढंग से समजे तो जीवन कि आवाज़ अलग होती है जो जीवन को हर पल मज़बूत बना देती है
पंखोंको समज ले तो जीवन कि उड़ान नई होती है जो जीवन को हर बार एहसास अलग देती है तितली से नाज़ुक और सुंदर पंख भी दिख जाते है पर पंखो मे पेहचान उनकी मजबूती से होती है
पंखों के अंदर अलग मक़सद होते है तितली के सिर्फ़ सुंदर पंख है पर हमारे सोच के पंख हमारी ताकद होते है तितली से वह नाज़ुक नहीं वह तो हमे कितनी दूर ले जाते है
हमे मजबूती से उड़ाने कि ताकद रखते है इन्सान जीवन मे कितना कुछ कर सकते है पर जाने क्यूँ जीवन कि ताकद समज लेना हमे नहीं आता है जो जीवन पर असर कर जाती है
जीवन के अंदर अलग एहसास होता है जो हमे तब समज आता है जब उस सोच के अंदर नई शुरुआत होती है जो पंखों के अंदर मतलब दे जाती है जीवन मे मजबूती दे जाती है
पंख जीवन मे ताकद दे जाते है उन्हें समज लेना हर बार ज़रूरी होता है पंख ही तो जीवन को जिन्दा करते है वह सही सोच दे जाते है इसीलिए जीवन को मतलब देते है
कभी कभी पंख जीवन को नई सोच दे जाते है पंख ही ताकद है जो मन को सही उम्मीद दे जाती है हमारे पंख तितली से ज़्यादा ताकदवर होते है जीवन के पंख हमेशा आगे ले जाते है
 उन पंखों कि ताकद जीवन पर सही असर कर जाती है हम अगर जीवन पर भरोसा रखे तो बड़े आसानी से हमारे जीवन कि सुबह हर बार  जीवन मे आ जाती है

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