Monday 2 November 2015

कविता २९३. जीवन मे साये

                                       जीवन मे साये
हर बार जीवन मे साये तो आते रहते है उनके संग हम दुनिया मे कभी कभी उम्मीदे भी खोते रहते है पर यह तो हम पर निर्भर है कब तक उम्मीदे दूर रहे
कब तक हम जीवन मे उन सायों को गले लगा के जिये क्योंकी वह साये तो जीवन कि धारा बदलते रहते है उन्हे परख लेना जिनसे उम्मीदे बनती है हम हर बार उन्हे कहाँ समज है पाते
साये को कहाँ हम परख पाते है पर जब साये जीवन पर असर कर जाते है उन सायों से हमे ही लढना होता है कोई साथ दे या ना हमे तो लढना है उन सायों से
हर सोच के अंदर कुछ तो असर हर बार होता है जो जीवन के अंदर साये जो असर कर जाते है उन सायों के अंदर मतलब हर बार कुछ तो असर अक्सर होता है जीवन मे
सायों मे हर बार कुछ तो असर होता है हर बार पर उन संग लढना होता है जीवन पर हर बार सायों मे कुछ तो असर होता है क्योंकी जीवन आगे बढता है लढकर दुःखों से
सायों से जीवन पर कुछ तो असर होता है सायों का जीवन पर असर होता है जिसे समज लेना जरुरी होता है क्योंकी साये ही तो जीवन को अंधेरे दे जाते है उनसे बचना है उम्मीदों को
कैसे हम लढते है सायों से वही देती है उम्मीदे देती है हमारे जीवन को सायों का होना तय है उतना ही तय है उम्मीदों का रहना हमारे जीवन मे हर पल और हर मोड पर
सायों के अंदर हर बार गलत सोच का असर तो लगातार दिखता है पर सही असर कि सोच ही तो उम्मीदे दे जाती है सायों से उपर उठ कर ही जिन्दगी बनती है जीवन मे
सायों को रोक लेना जरुरी होता है जीवन मे सायों के अंदर रहता है सही नही है जीवन मे सायों को खो देना जरुरी होता है हर बार जरुरी होता है जीवन मे

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