Monday 2 November 2015

कविता २९२. चुपके छुपी सोच

                                        चुपके छुपी सोच
चुपके से जीवन के अंदर नई सोच हमेशा आती है जो जीवन के अंदर अलग एहसास जगा देती है जो हमे अलग उम्मीदें दे जाता है पर हम यह नहीं समज पाते है
क्यूँ मन इतना ऊपर नीचे होता है नई सोच से जो हर रोज़ तो पौधों पर अलग कली देख लेता है पत्तों मे छुपे कलियों से ही वह दुनिया को समज लेता है
तो फिर चुपके से आयी नई सोच का अचरज क्या उसे कली कि तरह फूलों मे बदल जाना होता है सोच के अंदर दुनिया का आना जाना रहता है
कली छोटी हो या बड़ी उसे खिलना और मेहक जाना हर बार जीवन मे होता है कली के अंदर जीवन का एहसास होता है जो जीवन मे फूलों कि खूबसूरती हर बार लाता है
जिसे बार बार समजे वह एहसास फूलों मे छुपा होता है कली नई सोच कि वह शुरुआत है जिसमें जीवन हर बार जिन्दा रहता है नई सोच तो कली से जीवन मे बनती है
तो क्यूँ कतराये जीवन मे हर बार अलग एहसास जब सोच देती है हम फूलों मे परख लेते है उन बातों को जो चुपके से जीवन मे आती है चुपके से आनेवाले फूल तो प्यारे होते है
क्यूँ कतराये उस सोच से जो जीवन को मतलब देती है उसे परख लेना ज़रूरी नहीं है जो जीवन को हर बार एहसास देती है चुपके से समजो तो जीवन मे नई दुनिया जिन्दा होती है
पत्तों के अंदर कि कलियाँ क्या कम उम्मीदें देती है तो क्यूँ डरनेवाली चीज़ें उस सोच मे कोई एहसास देती है छुपी हुई चीज़ें जो जीवन को अलग सोच देती है
चुपके रखी सोच जो हर बार जीवन को आगे ले जाती है उस सोच को समज लेने से चुपके से जीवन को मतलब वह दे जाती है छुपी वह सोच जो रोशनी दे जाती है
पौधों के अंदर कली जैसे होती है वह सोच हर बार जीवन मे उसी तरह से उम्मीदें देती है जैसे हमे कलियाँ ख़ुशियाँ दे जाती है तो चाहो मन से छुपी सोच को जो जीवन मे ख़ुशियाँ लाती है

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१५२. अरमानों को दिशाओं की।

                            अरमानों को दिशाओं की। अरमानों को दिशाओं की लहर सपना दिलाती है उजालों को बदलावों की उमंग तलाश सुनाती है अल्फाजों ...