Tuesday 27 October 2015

कविता २८१. किनारे पर जीवन

                                                    किनारे पर जीवन
अलग किनारे से जिन्दगी जब आगे बढ़ती है जीवन कि राह बदल देते है हर किनारे मे अलग दुनिया होती है जिसे समज लेना आसान होता है हर किनारे का अलग एहसास होता है
हर किनारे मे जीवन कि अलग सुबह होती है जिसे उस किनारे से नई शुरुआत होती है पर जीवन के अंदर कुछ किनारे जो ज़रूरी होते है कुछ किनारे ख़तरे देते है
किनारों मे अलग अलग सोच होती है किनारे के अंदर नई सोच होती है किनारों को समज लेना ज़रूरी होता है किनारों को परख लेने कि ज़रूरत होती है
किनारे हर बार जीवन पर असर कर जाते है उन्हें हर बार परख लेना जीवन मे मुश्किल नज़र आता है जीवन के हर किनारे मे कुछ तो एहसास हर बार छुपा होता है
किनारे तो हर बार अलग असर कर जाता है किनारों को समज लेना हर बार अलग असर कर जाता है किनारे पर हर बार दुनिया बसती है जो किनारे पर ले जाती है
किनारा तो जीवन पर असर हर बार कर जाता है उस किनारे को परख लेना जीवन को रोशनी दे जाता है किनारों का विश्वास जीवन को रोशनी दे जाता है
किनारे तो हर बार अलग एहसास दे जाते है हम उन्हें समज लेते है तो वह उम्मीद दे जाते है हर किनारे पर हम मोड़ कुछ अलग और नये आसानी से पा जाते है
किनारों को परख लेना हम समज लेते है किनारे को तो हर पल नये मतलब मिलते है जिन्हें परख लेना जीवन पर असर कर जाता है जीवन को अलग एहसास देती है
किनारों से ही तो अपनी दुनिया बनती है जिन्हें समज लेना जीवन कि एक अलग सोच होती है जिनसे ही सारी दुनिया बन जाती है जो जीवन को अलग एहसास दे जाती है
किनारे पर अलग एहसास जो जीवन को दे जाती है उस किनारे को परख लो उसी किनारे से रोशनी आती है जो उस किनारे पर दुनिया बसा लेती है

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