लब्जों कि अहमियत
लब्जों का हर बात पर कभी कभी कुछ ज़्यादा ही असर हो जाता है जब मन को कोई बात चुभे तो अपना भी पराया नज़र आता है जिसे जीवन मे समज ले वह साथी भी पराया नज़र आता है
पर वह तो बस दो पल का खेल है जिसमें जीवन का मतलब अलग बनता है पर अगर परख लेते है तो जीवन कि धारा को अगर हम समज जाते है तो उस मे अचरज होता है
कि जाने क्यूँ छोटी छोटी बातों मे भी जीवन का अलग अर्थ होता है उस पल लगता है उनमें ही जीवन का अंत होता है पर ऐसा कभी नहीं होता जीवन तो आगे बढ़ता जाता है
जीवन हर रोज़ मोड़ नये लाता है एक दो लब्जों से वह रुकता नहीं है वह हर बार नये सीरे से आगे बढ़ जाता है बार बार जीवन के नये राग दोहराये जाते है
पर अफ़सोस तो इस बात का है कि जाने क्यूँ हर बार जीवन अलग लब्ज दोहराता है जीवन कि हर धारा संग जीवन का एहसास जुदा होता है हर लब्ज मे जीवन किसी मोड़ पे रुक जाता है
हर बारी जीवन जो सोच रखता है उसका एहसास जुदा होता है तो जिस लब्ज पर इतनी बार सोचते रहते है तो जीवन आसानी से कुछ पल उस एहसास से जुदा हो जाता है
जीवन के अंदर अलग लब्जों का एहसास जुदा होता है जिन्हें अगर हम परख लेते है तो दो पल उनका मतलब होगा क्योंकि हमारी सोच के रंग मे ही तो उनका रंग छुपा होता है
जीवन के हर मोड़ पर हर पल पर हक़्क़ हमारा होता है जिसे हम जीना तो हर दम चाहते है जिन लब्जों के अंदर हम जीवन का रंग पाते है जिन्हें परखे तो जीवन आसान सा बन जाता है
लब्ज जो जीवन मे मतलब ज़रूर दे जाता है उस लब्ज को समजना हमे हर बार आता है लब्जों के अंदर दुनिया का मतलब दिख जाता है उसे समज लेना जीवन पर असर कर जाता है
पर जब ग़लत लब्ज मन मे घर कर जाते वह दुनिया को मुसीबत मे डाल के आगे बढ़ जाते है तो उन्हें रोक लो आगे बढ़ने से तो वह जीवन पर असर कर जाते है लब्जों के अंदर वह दुनिया भर जाते है
लब्जों का हर बात पर कभी कभी कुछ ज़्यादा ही असर हो जाता है जब मन को कोई बात चुभे तो अपना भी पराया नज़र आता है जिसे जीवन मे समज ले वह साथी भी पराया नज़र आता है
पर वह तो बस दो पल का खेल है जिसमें जीवन का मतलब अलग बनता है पर अगर परख लेते है तो जीवन कि धारा को अगर हम समज जाते है तो उस मे अचरज होता है
कि जाने क्यूँ छोटी छोटी बातों मे भी जीवन का अलग अर्थ होता है उस पल लगता है उनमें ही जीवन का अंत होता है पर ऐसा कभी नहीं होता जीवन तो आगे बढ़ता जाता है
जीवन हर रोज़ मोड़ नये लाता है एक दो लब्जों से वह रुकता नहीं है वह हर बार नये सीरे से आगे बढ़ जाता है बार बार जीवन के नये राग दोहराये जाते है
पर अफ़सोस तो इस बात का है कि जाने क्यूँ हर बार जीवन अलग लब्ज दोहराता है जीवन कि हर धारा संग जीवन का एहसास जुदा होता है हर लब्ज मे जीवन किसी मोड़ पे रुक जाता है
हर बारी जीवन जो सोच रखता है उसका एहसास जुदा होता है तो जिस लब्ज पर इतनी बार सोचते रहते है तो जीवन आसानी से कुछ पल उस एहसास से जुदा हो जाता है
जीवन के अंदर अलग लब्जों का एहसास जुदा होता है जिन्हें अगर हम परख लेते है तो दो पल उनका मतलब होगा क्योंकि हमारी सोच के रंग मे ही तो उनका रंग छुपा होता है
जीवन के हर मोड़ पर हर पल पर हक़्क़ हमारा होता है जिसे हम जीना तो हर दम चाहते है जिन लब्जों के अंदर हम जीवन का रंग पाते है जिन्हें परखे तो जीवन आसान सा बन जाता है
लब्ज जो जीवन मे मतलब ज़रूर दे जाता है उस लब्ज को समजना हमे हर बार आता है लब्जों के अंदर दुनिया का मतलब दिख जाता है उसे समज लेना जीवन पर असर कर जाता है
पर जब ग़लत लब्ज मन मे घर कर जाते वह दुनिया को मुसीबत मे डाल के आगे बढ़ जाते है तो उन्हें रोक लो आगे बढ़ने से तो वह जीवन पर असर कर जाते है लब्जों के अंदर वह दुनिया भर जाते है
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