Tuesday 20 October 2015

कविता २६७. पत्तों पर लिखे ख्वाब

                                                          पत्तों पर लिखे ख्वाब
पत्तों की कुछ बातें जीवन पर असर तो कर जाती है जिन्हें समजे तो जीवन में रोशनी आती है जिनको समजे हर पल तो जीवन में अलग एहसास वह लाती है
पर कभी किसी गिरे हुए पत्ते पर लिख देने की उम्मीद मन में जग जाती है जिन्हें पत्तों के ऊपर लिखने की चाहत होती है वह मन की उम्मीद जग जाती है
अगर पत्ते पर कुछ लिख देते है तो वह जीवन पर असर कर जाता है पर पत्ते की लिखी बात पत्ता तो छुपा लेता है जिसे समज लेना जीवन में जरुरी होता है
पर सबसे कह देने से मन हर बार डर जाता है यह मन तो समज लेता है सच्चाई को हर बार कुछ अलग ही मतलब दिखाता है
पत्ते पर लिखी हर चीज को जीवन में समज लेना मन को कहा आता है मन उड़ता है उम्मीद के संग और उम्मीद को समज भी लेता है
पत्ते के धरती पर गिरने से उस धरती के अंदर अपना सपना खो जाता है लिखा हुआ वह सपना जीवन को मतलब जो दे सकता था उसे हम खो देना चाहते है
क्योंकि सपने सही सिर्फ तभी होते है जो जीवन में मतलब दे जाते है पर पत्ते चाहे कितने भी खो जाए सपने मन में तो रह जाते ही है
पत्ते के ऊपर जो हम लिखते है उसे हम भुला देना चाहते है जिसे हम हर पल परखना चाहते है पर फिर भी खो देना चाहते है
जीवन के जो सपने हमें हर बार अपने लगते है उन्हें समज लेना हम नहीं चाहते है क्योकि हर बार हम उन सपनों को परख लेना चाहते है
पर लोग हमें रोकते है इसलिए हम उन्हें संभलकर देख लेना चाहते है पर उन्हें छुपा कर क्या होगा जीवन में जब हम उन्हें समज लेना मन से चाहते है
आखिर पत्ते मट्टी में जाकर फिर से उभर आते है उसी तरह वह ख्वाब भी जीवन का हिस्सा धीरे धीरे बनते जाते है पत्तो के अंदर छुपाने से अच्छा है ख्वाब उभर कर आते है 

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