Saturday 17 October 2015

कविता २६१. जीवन का अलग मजा

                                                                 जीवन का अलग मजा
जग में कितनी बार कितनी जगह पर हम जीवन को समज लेते है जीवन के हर मोड़ पर हम जीवन को परख लेते है
पर हर बारी जीवन के साथ कुछ अलग ही समज लेते है उस अलग सोच के अंदर बात हमेशा होती है जिसे हर बार जीवन के अंदर अलग असर होता है
जीवन के साथ हर बार हर कदम अलग तरह के असर जीवन मे होते है अगला मोड़ जो जीवन को हर सोच में आता है उसे जीवन पर अलग नतीजे होते है
जीवन के भीतर अलग अलग किसम की सोच जो मन पर असर करती है जीवन के बीच में अलग मोड़ जो जीवन के हर मतलब को समज लेते है
जीवन का हर मतलब जो जीवन को दे जाता है जीवन हर एक मोड़ पर नई सोच जिन्दा करता है पर अगर दिलचस्प असर कर जाते है
जीवन के भीतर हर सोच के अंदर कुछ तो असर होता है जिसे हर जगह कोई अजब नतीजा होता है जो जीवन को समज लेता है और जीवन को नई तरह की सोच दिखाता है
उस जीवन को समजो जिसे समज लेना आसान होता है जीवन की हर धारा में अलग अलग असर तो होता है जिसे परख लेना हमें नहीं समज पाता है
जीवन के हर कोने में अलग अलग असर होते है जो जीवन में समज लेते है जीवन की हर सोच का असर जीवन पे खुशियाँ भर जाता है
हर सोच के अंदर जीवन को अलग असर जो जीवन को जब मजा देता है मजा तो सच में असर तभी करता है उस पर असर तो तभी कर जाता है
मजा तो जीवन के अंदर अलग तरीके का असर हर बार जीवन को रोशनी दे जाता है जीवन पर अलग असर हो जाता है 

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