Saturday 5 September 2015

कविता १७८. हर कदम

                                         हर कदम
हर कदम जीवन में कुछ तो अलग असर दिखाते है हर कदम जीवन में प्यारी उम्मीदें ले आते है कदमों के अंदर दुसरा असर हमेशा होता है हर बार कदम पे कुछ तो अच्छा असर होता है
हर एक कदम में कई चीज़े हमें जीवन दे जाती है उसी कदम के अंदर कई तरह कि बातें हमेशा रहती है हर कदम के बीच कोई तो असर होता है हर कदम के अंदर कुछ तो असर होता है
हर कदम मे कुछ ना कुछ छुपा है क़दमों के अंदर कोई असर हमेशा होता है क़दमों में कई तरीके का जीवन बसता है आगे बढ़ के चुनो उन क़दमों को जिनमें आपका जीवन बसता है
पर अफ़सोस तो है जब चुनते है हम अपने कदम तो वह आपको काँटों सा क्यूँ चुभता है आपने अपनी राह चुनी तो हमे भी चुनने देते हमने अक्सर देखा है
लोग अपनी राह तो चुनते है पर दूसरों की राह चुनना उन्हें मुश्किलसा लगता है आजादी तो जीवन में सबको अपने लिए एक चाहत है हर बार उन्हें गैरों के लिए देना मुश्किल होता है
क़दमों के बीच कोई तो असर हमेशा होता है हर कदम में कोई ना कोई असर तो पड़ता है क़दमों तो हर बार आगे बढ़ते रहते है तो कदम से कुछ तो असर होता है
इसीलिए तो कदम अपनी पसंद होते है तो लोगों का दिल है जलता मत रोको उन क़दमों को जिनसे आवाज़ मिले जीने का कुछ तो अंदाज़ मिले कदमों के अंदर ही नई दुनिया मिलती है
उन्हें मत रोको बस इसलिए दुनिया की बातें भी कभी कभी अनसुनी करनी है अगर हर बार हमे आगे जाना है तो राह सही चुननी है चलते रहना है
उस कदम पर भरोसा रखो तो जीत आपकी होगी इसीलिए ही तो उस कदम से दुनिया है आगे ज़रूर है बढ़ती बार बार कदम के बाद कदम हर बार आगे बढ़ते है
कदम तो वह होते है जो हर बार कोई तो असर देते है पर उन क़दमों के अंदर कोई तो ताकद होती है क्योंकि कदम के अंदर कोई तो मतलब होता है वरना कोई क्यूँ हमे रोकता है

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