Tuesday 15 September 2015

कविता १९६ सोच

                                                                          सोच
कभी कभी बूँदों का कुछ तो मतलब होता है जब धरती को वह छू लेती है कुछ तो मक़सद होता है उस हर पल समजे तो ही जीवन आगे बढ़ता है वह ख़ुशियाँ देता है
हर बूँद मे एक जीवन ज़रूर छुपा होता है उसे समजे तो उसका जीवन धीरे धीरे से बनता है हर पल हर बूँद के साथ जीवन आगे चलता है अगर बूँद को ना समजे तो जीवन खाक समजता है
हर बात जो छोटी छोटी मन को छू लेती है वह जीवन मे एक नयी शुरुआत भी देती है उसी तरह मन मे भी एक सोच होती है क्योंकि वह सोच भी एक बूँद होती है
उसमें बस जीवन है पर यह तो हम पर निर्भर है कि वह छोटीसी बूँद कौन सा जीवन बनेगी वह जीवन मे आगे ले जायेगी या बस उस पल मे ही रुकेगी वह जीवन मे आगे ले जाती है
हर बार हर एक सोच बारिश कि बूँदों कि तरह मन की ज़मीन पर गिरती है हमे जीवन मे वह अक्सर बदलाव देती है वह बदलाव कैसा है यह किस्मत तय करती है
वह जीवन को हर बार कुछ ना कुछ कह देती है जीवन मे हर बार आगे बढ़ना शुरू तो वह करती है सोच ही अलग अलग तरीक़े से जीवन को बदलती रहती है
पर वह बूँद के जैसे जीवन तो हर अपने अंदर समाके रखती है सोच के अंदर हर बार नई दुनिया बनती है पर अफ़सोस तो इस बात का है कि वह ग़लत भी बन जाती है
हर सोच तो मन के माटी मे जाकर कुछ तो असर करती है यह हम पर होता है कि वह सोच जीवन मे कैसे आगे बढ़ती है अक्सर सोच जीवन को बदल देती है
पर हमेशा यह होता है कि वह पौधा बन के आगे बढ़ती है जीवन मे सोच अक्सर असर तो करती है जीवन को समजो तो दुनिया नये तरह से बनती है उसे नहीं करते है
क्योंकि वह पानी के बूँदों कि तरह जीवन मे अहम सी लगती है सोच के अंदर नयी दुनिया कि तसबीर बनती है हर छोटीसी बूँद कि तरह सोच भी जीवन को जिन्दा रखती है

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