Sunday 27 September 2015

कविता २२१. नदियाँ के अंदर

                                     नदियाँ के अंदर
चाहे तो नदियाँ के अंदर कुछ तो असर होता है नदियाँ के पानी के भीतर पत्थर का रंग प्यारासा लगता है उसे समज लेंगे उसमें कुछ तो असर होता है
पानी के अंदर ठंडा एहसास जीवन पे असर कर जाता है पत्थर पानी के नीचे कुछ तो असर होता है जो जीवन को प्यारा एहसास होता है पत्थर कि मजबूती जीवन पे असर करता है
नदियाँ के अंदर कई चीज़ों का एहसास होता है नदियाँ के  पानी मे कुछ प्यारा एहसास जो मन को तसल्ली देता है नदियाँ मे प्यारी चीज़ें जो जीवन पर असर हो जाता है
नदियाँ मे अलग एहसास जो हमेशा छुपा होता है नदियाँ मे अलग अलग चीज़ें हमेशा रहती है जो जीवन पर हमेशा असर करती है पत्थर मे कुछ तो एहसास ज़रूर होता है
पत्थर को जो मजबूती है वह जीवन पर असर ज़रूर करता है पत्थर के अंदर कुछ तो एहसास ज़रूर होता है पत्थर के अंदर प्यारा एहसास होता है
पत्थर के अंदर कई तरह के रंग ज़रूर होते है उन्हें चुनना कभी कभी जीवन पर असर करता है पत्थर मे भी कुछ तो असर छुपा होता है पत्थर के अंदर नया असर होता है
हर बार पत्थर मे भी अच्छा एहसास छुपा होता है उनमें पत्थर के अंदर नया ख़याल ज़रूर असर कर जाता है जीवन मे पत्थर कुछ तो असर ज़रूरी होता है
पत्थर के अंदर अलग किसम का एहसास होता है हालाँकि पत्थर मे कुछ तो एहसास ज़रूरी होता है पत्थर मे कुछ तो मज़बूत होते हुए भी एहसास जीवन मे असर करता है
पत्थर के अंदर नये तरीक़े छुपे हुए होते है पत्थर के जो असर जीवन पे ज़रूर होता है पत्थर के अंदर अलग तरह का एहसास भरा होता है पत्थर मे नया असर होता है
पत्थर मे अच्छा असर होता है क्योंकि पत्थर के अंदर नया एहसास ज़रूर असर कर जाता है पत्थर मे भी अलग एहसास जीवन मे असर कर जाता है

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