Friday 25 September 2015

कविता २१७. फुरसत मे समज लेना

                                फुरसत मे समज लेना
चलते चलते राहों मे कुछ तो अलग हो ही जाता है जो हमने सोचा उस से भी जीवन अलग रंग दिखाता है राहों पर जीवन को समज लेने का वक्त कहा होता है हम यू ही चल पड़ते है जैसे जीवन ले जाता है
जीवन के हर रंग का मतलब आगे बढ़ता जाता है हर कदम अगर हम जीवन को समजे तो जीवन नया सा मतलब लाता है जीवन को हर बार समज लेने मे अपना ही मज़ा होता है
हर राह पर चलने का एहसास जुदा होता है उन्हें समज लेने से जीवन का मतलब जुदा हो जाता है बड़ा मज़ा आता है जब मन चाहा रंग जीवन को छू लेता है वह रंग तय नहीं होता है
पर सही रंग वहीं होता है जो जीवन मे ख़ुशियाँ दे जाता है परखे तो जीवन का अलग रंग नज़र आता है हर मतलब के अंदर नये तरह का रंग हमेशा जीवन दे जाता है
जीवन मे अलग अलग दिशा से वह जीवन का मक़सद बन जाता है जिसे हर बार अगर हम समज ले तो जीवन मे नया रंग लहराता है जीवन को जो समज ले उसके जीवन का मतलब होता है
इसीलिए तो जीवन अलग मतलब दिखाता है ताकि उन्हें समज लेना जीवन का मतलब बन जाये आख़िर बाकी कामों से बेहतर जीवन को समज लेने का काम होता है
जीवन तो आगे बढ़ जाता है पर जो हर पल को समज कर जियें तो ही जीवन आगे बढ़ पाता है जीवन मे हर बारी कुछ तो नया एहसास ज़रूरी होता है जीवन को वह रोशनी दे जाता है
जीवन जो हर बार समजाता रहता है नई बातों का मतलब हर बार आता है चलने का मतलब जीवन को आगे ले जाना होता है उसे हर बार जीवन बनाना होता है
जीवन हर बार अलग मतलब दे जाता है जब उसे फुरसत मे समजा जाता है तो वह मन को ख़ुशियाँ दिखाता है जीवन कि बाज़ी को बस वहीं जीत लेता है जो उसे जीना जानता है
जीवन कि बातों को समज लेना तो ही ज़रूरी होता है चाहे कितना भी वक्त लगे पर बिन समजे जीवन को आगे बढ़ाना अक्सर ग़लत लगता है तो अक्सर रुका करो ताकि कभी तो हमे जीवन समज जाये तभी तो हम आगे बढ़ पाते है

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