Sunday 13 September 2015

कविता १९३. नया सबेरा

                                    नया सबेरा
जब जब हम अलग तरह की सोच रखते है उस सोच को जिसे हम हमेशा अलग तरीक़े से रखते है जीवन के ख़ातिर हम उसे बदल भी लेते है हम सही सोच रखते है
उस सोच को जिसे हम जीवन मे रखते है उस सोच के अंदर हम कई तरह के ख़याल रखते है कई तरह कि सोच जो हम जीवन मे रखते है सोच के अंदर नये ख़याल लाते है
पर अलग ख़याल जीवन मे कुछ तो असर चाहते है हर चाह जो सोच हम मन के अंदर रखते है सोच के अंदर हम सही तरह के ख़याल हम जीवन मे रखते है
पर जाने क्यूँ हम दुनिया से डर कर उन ख़यालों को हम दबा के रखते है तरह तरह की सोच जो जीवन को आगे ले जाती है वह कभी कभी आम नहीं होती है
ख़ास सोच ही जीवन को कई उम्मीदें देती है जीवन के अंदर कभी कभी सोच हमे जो उम्मीदें देती है उस से ही दुनिया डरा कर दूर कर देती है जो ख़ास सोच हमे प्यारी लगती है
सही सोच ही जीवन को सही दिशा दिखाती है जीवन के अंदर अलग तरीक़े भी कभी कभी सही होते है पर लोग हमे अक्सर उन्हें अपनाने से रोकते है
पर जीवन मे सही राह तो बस होती है जो अच्छाई से चलने को ही सही समजती है चाहे कोई भी दिशा हमे कितनी भी तसल्ली दे काँटों की राह पर फूल चुनने का मौका देती है
पर सही दिशा तो बस वही है जो सच्चाई से मिलती है जो जीवन के अंदर नयी सोच अक्सर धरती है सोच को समजो तो वह दुनिया मे कुछ ऐसा कर जाती है
जीवन अलग दिखाता है पर हम उस सोच को देख ना पाते है सोच जो अक्सर जीवन मे ग़लत ही होती है वह हर बार जीवन मे नया उजाला लाती है
पर वह सोच हमेशा थोड़ी मुश्किल ही नज़र आती है वह एक ऐसी सोच है जो दुनिया की समज मे ना आती है वह एक ऐसी सोच जो जीवन मे अक्सर नया सबेरा लाती है

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