Saturday 19 September 2015

कविता २०५. दूसरों का दर्द

                                          दूसरों का दर्द
हर बार जो एहसास हमे महसूस होता काश के वह एहसास जीवन मे सबको होता जो चोट मन के अंदर चुपके से लगती है वह चोट देने के पहले ही काश इन्सान उसे समज पाता
पर अफ़सोस है कि यह बात दूसरों का दर्द हमे आसानी से नहीं दिखाती है हम तो बस अपने दिल से अपना दर्द समज लेते है सारे दर्द जो हमे छू लेते है वह सबको दर्द नहीं देते है
बार बार जब हम जीवन को समज लेने कि कोशिश करते है हर दर्द के साथ हम जीवन को जी लेते है दर्द के अलग अलग नतीजे से हम हर बार डरते है इसीलिए तो अपने दिल को संभाल कर रखते है
दर्द जीवन पर असर करते है दर्द के अंदर नई सोच हम रखते है दर्द के अंदर हम अलग तरीक़े कि सोच हम हमेशा रखते है दूसरों के दर्द को हम हमेशा छोटी समज लेते है
जीवन के अंदर दर्द तो हमेशा मन को ख़ुशियाँ देते है वह दुनिया मे कभी नहीं दिखते है जीवन के अंदर हमेशा जीवन को दर्द चोट ही देते है तो चाहे या ना चाहे पर अगर  हमारे जीवन मे दर्द आते है
दूसरों का अनदेखा दर्द हमेशा अपने जीवन मे भी आता है दर्द को अपना घर बदलना आता है दर्द जीवन का हिस्सा हमेशा बन जाता है दर्द का असर तो हर बार हम पर होता है
दर्द हमे जीवन देता रहता है दर्द जो हमे जीवन पर असर करता है अपना हो या पराया आख़िर जीवन को तो छू लेता है दर्द तो हमेशा जीवन मे आता जाता रहता है
दर्द तो हमेशा हमारा पत्ता  ढूँढ़ लेता है पर अक्सर जो दूसरों के गमों मे है रोता ख़ुशियों का आना जाना उसके जीवन मे शुरू रहता है गमों के अंदर सोच सही तरीक़े जब आगे बढ़ती है
तभी तो जीवन मे ख़ुशियाँ वह ला पाती है सही तरीक़े से जी लेना यही तो जीवन कि सही सोच होगी जीवन के अंदर हमेशा वही नई दुनिया बना लेती है
जीवन मे हम हर पल जो समज लेते है वह अपने गमों कि ही कहानियाँ है होती पर उनके बीच मे जो दूसरों के गमों को भी समज लेता है जीवन मे उसी इन्सान कि निशानीयाँ जीवन मे हमेशा है रहती

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