Sunday 20 September 2015

कविता २०६. हर चाल

                                             हर चाल
हर चाल जो जीवन मे हमे आगे ले जाती है वह चाल हमेशा दुनिया के हर दुःख का कारण बन जाती है जीवन कि जो दिशा सीधी जानी ज़रूरी है वह चाल बन के जीवन को ग़लत दिशा मे ले जाती है
दुनिया कि हर चाल जो हमे आजमाती है वह चाल ही तो जीवन को तरह तरह के रंग दिखाती है जीवन के हर रंग मे सीधे रस्ते से जाती है जीवन के कई रंगों मे दुनिया जिन्दा हो जाती है
पर जब कोई चाल जो दूसरे को रुलाती है वह चाल अक्सर दुनिया मे हमे आगे ले जाती है वह चाल हमेशा दुनिया पर कुछ ना कुछ असर तो कर जाती है पर सच तो यह होता है
कि वह चाल ही हमारी हस्ती मिटा देती है वह चाल जो जीवन के अलग अलग रंग दिखाती है वह चाल जीवन को हमेशा सही बनाती है चाल जो अपने जीवन को सवार लेती है
वह चाल हमे मुस्कान देना सिखाती है वह जीवन मे आँसू नहीं फूलों को बाँटना सिखाती है वह जीवन को एक अलग रंग दे जाती है वह हमे अक्सर मुस्कुराना सिखाती है
वह चाल सही होती है जो जीवन को सही दिशा दिखाती है वह लोगों के आँसू से नहीं हँसी से ही दुनिया जिन्दा कर जाती है चाल तो वह होती है जो सही राह दिखाती है
सही राह तो वह होती है जो जीत से ज़्यादा जीवन मे ख़ुशियाँ फैलाने पर ध्यान देती है आख़िर यह तो छोटीसी जिन्दगी है जो जीवन को उम्मीदें दे जाती है वह आशाओं कि राह दिखाती है
सही राह से आगे बढ़ते हुए वह जीवन को कई उम्मीदें मिल जाती है जब चाल ऐसी हो जो ख़ुशियाँ बाँटे तो वह चाल हमेशा सही कही जाती है पर दुनिया मे लोग अक्सर उसे समज नहीं पाते है
जीवन को हर बार वह जीत कि शतरंज समज कर आगे बढ़ते जाते है लोग जीवन के हर रंग को समज लेना चाहते है पर सही रंग को आसानी से  जीवन मे नहीं समज पाते है
जीवन को समज लेते है तो जीवन का मतलब समज नहीं पाते है क्योंकि चालें सिर्फ़ अपने लिए और जीवन मे अपनों के लिए वह हर बारी चलते है दूसरों को रुलानेवाले खुद कि किस्मत को रोते है

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