Friday 21 August 2015

कविता १४७ . जीवन का मतलब

                                                                जीवन का मतलब
जब समजा हमने जीवन को हर बार उसे दिल से मेहसूस करना होगा पर शायद कई बार हमने जीवन को आसानी से खेल लिया होगा बिन समजे ही उसे जी लिया होगा
जब जब हम आगे बढ़ते जाये जीवन कभी कभी ना समज के भी हमने आगे बढ़ा दिया होगा शायद इसीलिए तो बिन समजे ही कश्ती को पतवार मिल गया होगा
उप्परवाला चलाता है जीवन पर उसको हमे भी कभी कभी समज लेना होगा क्योंकि हमे ही तो जीना है कैसे हम कह दे बिन समजे ही हमे हर बार बिन समजे ही जीवन को जीना होगा
जब जब जीवन को समजे तो उसमें नयी सोच को समजना होगा पर हर बार ऐसा होता है जीवन को हम कुछ इस तरह से जीते है जी तो लेते है पर कुछ भी नहीं समजा होगा
कोई खुद से माने या ना माने पर जीवन मे हर हादसे पर हम तो जिये जाते है बिन समजे हम हर मोड़ पर हम कहे जाते है सारी दुनिया को अगर हम समजे तो वह जरुरी नहीं होगा
पर खुद को हम समजले तो जीवन में हर बार कोई मुश्किल नहीं होती जब जब हम समजे उसमे जीवन की नयी सोच जरूर होती है दिल से हर बार जब जीवन को समजना होगा
पर हमें दुनिया को नहीं बस खुद को समजना होगा जब जब आगे बढ़ जाये शायद उस पल जिस पल में हम जी पाये है उस जीवन को जीना होगा अगर हम समज लेते है तो
हर बार हमें जीवन में आगे बढ़ना होगा सारी राहों पर जब जब हम चलेंगे हर राह में खुशियों पर हमारा जीवन बसा हुआ होगा जीवन के हर एक रंग को समज कर ही जीना होगा
क्युकी यह तो अपना जीवन जीवन है जिसे मन से समज कर जीना होगा ताकि हर पल मतलब को जब जब हम समजे जीवन का एक तराना होगा जिसे हमें हर पल समज कर जीना होगा
तभी तो कोई मतलब बनेगा कोई सही फ़साना होगा जब जब हम जीवन को समजे तो जीवन को समजे तो नया मतलब अपने जीवन का हिस्सा सही तरीके से बनाना होगा 

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