Wednesday 26 August 2015

कविता१५७ . यू ही कही बात का फसाना

                                 यू ही कही बात का फसाना
बातें जो हम कहते है उनमें कुछ तो मतलब होता है अगर हम कहे बिना मतलब के कहा है उसमें तो गेहरा मतलब होता है चाहे कोई कितना भी कह दे बात तो बिन मतलब होती नहीं
तूफ़ानों से आगे जब जाये कश्ती तो नहीं देती कोई इशारे पर यह समजने कि बात तो मन से समजनी है अनकही बातें भी कभी ना कभी तो कही जाती है बस वह हमे समज नहीं आती है
कभी कभी हम अनसुनी कर देते है उन्हें जिनके असर से जिन्दगी कई बार बदल जाती है फिर भी अनदेखा कर देते है जीवन को सभी हर बार आखिर वही बात तो जीवन मे आती है
हर बार जो हम समजे वह बात दिल से तो जीवन के जस्बात को हम समज पाते है जीवन तो एक डोर है जो मजबूती से बनी पर अनसुनी बातें ही तो गाठ नज़र आती है
हर चीज़ का तो कुछ ना कुछ मतलब होता है अगर उसे समजो तो ही जीवन का मतलब समजता है कितना भी कोई कह दे की हमने कहा है यू ही उस पर सोचना ज़रूरी होता है
जब जब हर बार बातों को समजे सही तरीक़े से समजना हर बार ज़रूरी होता है जीवन को हर मोड़ पर उन बातों से ही हम समजे जिनमे मतलब है हर बार छूपे रहते है
कितनी बार हम लोग तो कहते है कि जीवन की बातों को हम है समजते आगे बढ़ते है जीवन मे और हर बार जीवन की सोच मे नया मतलब समजते रहते है
पर एक बात तो समज ली है हमने कोई बात खाली नहीं जाती जीवन मे हर बात का कोई ना कोई मतलब तो होता है जिसे समजना जीवन का एक मक़सद होता है
जब जब हम जीवन को समजे यू ही किसी बात का किस्सा बड़ा होता है जिसे हर बार हम न सुने वही किस्सा बड़ा होता है नयी नयी सोच जिसके अंदर नयी कहानी होती है
कोई कह दे आपसे कह रहा हूँ यू ही हक़ीक़त तो यह है की मन मे मदत करनेकी चाह उसके है कही पे दबी हुईं कह नहीं पाया तो क्या हुआ दोस्तों क्या हम नहीं समज सकते वह बात जो रह गयी अनकही

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