Monday 17 August 2015

कविता १४० दिल कि उम्मीद

                                          दिल कि उम्मीद
दूर से कोई किस्सा याद नहीं आता है पर पास कभी कभी तो पास का किस्सा भी दूर से ही ज़्यादा भाता है बात सही हो तो हर किस्सा उम्मीद दे जाता है पर ग़लत बात का हर किस्सा ग़लत ही नज़र आता है
जो जीवन को हम परखे उम्मीदों का हिस्सा हर मोड़ पर नज़र आता है पर हम उम्मीद भुला दे तो जीवन मे कुछ भी नहीं भाता है हर दो राहे पर उम्मीद जब हम खोजे तो ही दिल उसे ढूँढ़ पाता है
हर मोड़ पर बिन उम्मीदों के बस काटों का ही शृंगार नज़र आता है दुनिया मे जो काँटों मे से रस्ता ढुँढे उसे ही जीवनरस एक अमृतसा लगता है और मन को भाता है
जीवन मे ख़ुशियों की लकीरे बस वही हाथों पर पाता है जिसे उम्मीदों के सहारे जीवन मे आगे बढ़ना आता है ,दिल ही तो अपना साथी बने जब उसे उम्मीदों का किनारा मिलता है
बिन उम्मीद के जीवन तो नाव है जिसे ना पतवार ना किनारा मिलता है हर मोड़ पर वह उम्मीदों का ही सहारा ढुँढता है हर बार हमे नई नई उम्मीदों का सहारा मिलता है
जब हम कुछ याद करे तो वह उम्मीद भरा हो तभी तो जीवन को सहारा मिलता है दुःख भरे पलों से क्या खाक सहारा मिलता है ख़ुशियाँ पाना मुश्किल सही पर नामुमकिन फसाना नहीं होता है
अगर दिल चाहे तो जीवन को सही राह दिखाता है अगर वही सही सोच जीवन को उजाला देगी अगर दिल को सहारा दे तो जीवन मे नयी रोशनी ज़रूर शामिल होती है पर मन मे जो दिल है
उसी दिल के सहारे तो हम जीवन मे आगे बढ़ते है वही हमे समजाता है कि हम जीवन मे कैसे हमे उम्मीदों का सहारा हर दम जीवन मे होता है वह हमे ख़ुशियाँ देते है
जीवन के हर मोड़ पर नई सोच हम हर बार जीवन मे दिल के सहारे हम नई सोच दिखाते है दिल के अंदर प्यारी सोच हर बार हमारे सोच मे यह दिल कि नई सोच जीवन पर असर कर जाती है
क्यूकी दिल ही है जो जीवन मे ख़ुशियाँ पर हर बार असर कर जाता है दिल के अंदर जो चीज़ हम पर असर कर जाती है वही तो है हमारी उम्मीद जो हमे भाँति है

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