Sunday 2 August 2015

कविता १०९. जीवन का मकसद

                                                          जीवन का मकसद
हर चिंगारी का मतलब होता है हर जीवन का मकसद होता है हम समजे या ना समजे पर वह पूरा तो होकर रहता है
जीवन की इस दौड़ धुप में जाने कितनी बार हम वह कर जाते है जो हमारे जीवन का मतलब होता है जब जब हम आगे बढ़ते है 
जीवन रस को समजना मुश्किल लगता है पर चिंता की कोई बात नहीं है ईश्वर तो हम से करवाही लेते है जो ईश्वर का मकसद होता है 
जीवन बिना अर्थ नहीं होता है हर जीवन का मतलब होता है समजो चाहे या ना समजो जीवन तो नदियाँ की तरह बहता है 
सागर से मिलना जिस का मतलब होता है उसी तरह जीवन में भी कुछ ना कुछ मतलब होता है जिसको हर पल हम समज नहीं सकते है 
पर याद तो हम को रखना पड़ता है जीवन के हर मोड़ पर जाने क्यों नयी नयी मुसीबतों के बजह से जीवन बिन मतलब लगता है 
जीवन के हर रंग को समजे वही जीवन का एक अलग सा अर्थ होता है जब जब हम आगे बढ़ जाये तो जीवन में कुछ और ही मिलता है 
जीवन को हर पल जो समजे उसके अंदर जीवन के कई खयालो का भी कुछ तो नतीजा होता है जीवन के अंदर जो जीना सीखे उनका ही यह जीवन होता है 
जब जब हम आगे बढ़ जाये जीवन में कई तरह की सोच को समजना पड़ता है उस सोच के अंदर जाने क्यों जीवन का मतलब दिखाता है 
जीवन के कई रंग है जिनमे हमें जीवन का अलग अलग सा मतलब दिखता है पर कभी कभी वह छुप जाते है और जीवन  का ना कोई मतलब दिखता है ना कोई मकसद दिखता है 
जीवन तो उस ईश्वर की देन है जिसमे जीवन की उम्मीद दिखती है जीवन को अगर हम समजे तो जीवन का हमेशा एक मकसद होता है 

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