Monday 31 August 2015

कविता १६७. मुरझाया फूल

                                                                   मुरझाया फूल
कभी कभी कलिया बड़ी प्यारी लगती है वह जीवन मे प्यारासा एक फूल बनती है जिसमें हर पल उम्मीदें भी जगती है उन्हें समजलो तो जीवन मे ख़ुशियाँ मिलती है
बड़े बड़े से सपने वह फूल देते है जो ख्वाबों की चाबी दुनिया को देती है जो जीवन को जिन्दा कर दे वह ख्वाब दुनिया देती है तरह तरह के सुंदर फूल हमे उम्मीदें देते है
उनके संग ही जीवन को पाना हम हर पल चाहते है जीवन की हर आस हम उन फूलों मे पाते है और कलिया वह चीज़ है जो हमे फूल बिन माँगे ही देती है
पर फूल तो हमे हर बार एक जन्नत सी देते है फूल नाज़ुक है जिनको छूने से लगता है कोई सपना कोई ख्वाब अधूरासा था अब वह जीवन को पुरा लगता है
उनकी पंखूडीयों मे हम नया जीवनसा पाते है क्योंकि कली के बीच मे ही तो जिन्दगी छुपी है और उस फूल मे जीवन बसा है पर कभी कभी हम सोचते है
यह फूल और कलियाँ तो सब चाहते है पर जब फूल मुरझाते है लोग तो अक्सर कतराते है पर सबसे बेहतर तो वह होते है जो जीवन मे दूसरे को जगह देते है
हर कोई जीवन मे बस अपनी जगह तो चाहता है उसे हर बारी जीवन का हिस्सा समज के रखता है ग़लत बात यह भी नहीं है इन्सान मेहनत से जो पाता है
उसे पाने की चाह मे वह कई चीज़ें खो देता है बड़ी मेहनत से वह उंचाई पाता है कली की तरह मेहनत से वह खिल जाता है और वह अपने आपको खोना नहीं चाहता है
पर मुरझानेवाला फूल तो दिल को छू लेता है क्योंकि वह चुपचाप डाली पर रहता है जब सही वक्त आता है चुपचाप गिर जाता है वह कोई बात नहीं कहता है
क्योंकि जीवन मे इतनी आसानी से कोई भी अपनी जगह नहीं देता कलियाँ मिलती है कई फूल मिलते है पर जीवन मे एक मुरझाया फूल नहीं मिलता जो दूसरे के ख़ातिर जगह छोड़े ऐसा इन्सान नहीं मिलता

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१५३. इशारों को अफसानों संग।

                             इशारों को अफसानों संग। इशारों को अफसानों संग आस तलाश दिलाती है लहरों की आवाज पुकार सुनाती है तरानों को उम्मीदों...