Monday 10 August 2015

कविता १२६. खुशियो मे बदलना

                                                               खुशियो मे बदलना
नदियाँ की किस्मत है उसको बहते रहना है जीवन के हर मोड़ का भी निश्चित उसी तरह से बहना है
जब जब हम आगे चलते है तय उसी तरह से चलना है कैसे जीते है बस यही हमे तय करते रहना है
पर कितना भी रोना ना चाहे फिर भी आँसूओं का आना जाना  होता है सच कहो तो जिसे छोड़ के आगे बढ़ना चाहते है
उनके लिए ही दिल मे रखा ख़ास कमरा है ख़ुशी तो आती जाती है पर उस पर ना हमारा कुछ कहना है
पर काश ग़म एक रस्ता खो दे पर यह कभी ना होना है हम हँसकर जी लेंगे यह बस हमारा कहना है
सच कहे तो ग़म को दूर रखने के चक्कर मे आजकल उनका ही जीवन मे बस हर बार रहना है
जीवन ने तो ना भी दीये हो पर उनका दिल मे चुपके से रहना है जीवन के हर मोड़ पर अक्सर हमारा मुश्किल लढना है
पर कभी कभी हम यही सोचते है यही सोच सबसे ग़लत रखते  है ग़म से तो हम निकलेंगे ही यही जीवन का सही कहना है
हर बारी जब हम हँसते है उस हँसी को बस साथ रखना है कितना भी मुश्किल लगता हो पर ऐसे ही मुमकिन बच पाना है
आँसू तो आ जाते है पर हमे ही अपनी ताकद और सुजबूज से उन्हें खुशियो मे बदलना है

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