Tuesday 7 July 2015

कविता ५८. ख्वाब

                                                                ख्वाब
खूबसूरत सा एक ख्वाब हमें दिखता है कोई जिसे हमे हसना सिखाता है उस ख्वाब के कई मतलब होते है
जिनमे सारी सोच को समजना हमे आता है
ख्वाब में कई मोड़ दिखते रहते है तरह तरह ख्वाब में हसना हमे ख़ुशी देता रहता है उस हसने में भी हमे दिखाते है कई ख्वाब हमे उन्हें जीना अहम लगता है
कभी कभी जिन्दगी को भूल के बस उस ख्वाब में ही जीना सही लगता है ख्वाबों में कई तरह की सोच रखते है और इन ख्वाब में जिन्दा रखता है
ख्वाब में नयी नयी सोच हम समजते है दुनिया में कई ख्वाब जो हम देखते है सारे ख्वाबों में हर बार दिल में जिन्दा रहते है
ख्वाबों में नयी सोच हमें दिल में जगाती है सोते हुए लोगों को वह ख्वाब भी है रोज जगाती हर हर बार यह जिन्दगी हमें नयी सोच को भी जिन्दा रखती है
ख्वाब जो जगते है उन्हें वह होश में है लाती कुछ ख्वाब में जो ताकद है जो हमें जिन्दा है रखती है हमारी सोच को कुछ उस तरह से जगाती है
की दुनिया में बस वह सोच जिन्दा है रहती वह जीती है हर पल और हर ख्वाब को जगाती है हर मोड़ पर यह जिन्दगी उन ख्वाबों के ताकद से जीती है
वह ख्वाब जो साँस बन कर हर बार जिन्दा रखते है वह ख्वाब वह सोच है जो हमे रोज जीने हरदम देती है
बस उसी ख्वाब को हमे  नयी सोच बनायीं है जो हमे रोज जिन्दा है रखती क्युकी जिन्दगी तो वह चीज़ है जो हर पल ना चलती है ना संभलती है
जिन्दगी तो वही चीज़ है जो हर पल है जीती सिर्फ उन ख्वाबों में हर पल वह जिन्दा है रहती कुछ ख्वाब ऐसे भी
 होते है जिन में जिन्दगी हमेशा बसती है

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