Sunday 5 July 2015

कविता ५४. हमारे ख़याल

                                                                    हमारे  ख़याल
हर मोड़ पर मिलते है कई सोच  खयालों में जो जीते रहते है वही खयालों को हर बार जो छूते है
वही लोग हमें जिन्दगी में कही मोड़ पर मिलते है अगर कोई सही बात भी करना चाहे जिन्दगी अक्सर देती नहीं सीधी राहे
उन राहों पर जब भी हम चलते है सभी मोड़ों पर उम्मीद ही पाते पीछे की जिन्दगी तो बस वह झरोका जिस हमे सिर्फ यादों में ही रखना होता है
सारे राहों पर हम जीते रहते है पर हम बार बार उस मोड़ पर सोचते है की सारी दिशाओं में अक्सर नयी चीज़े दिखती है
वही कभी सीधे सीधे राहों पर चलते रहते है जब कभी हम उम्मीद करते है हम यही सोचते है और राहों से गुजरते है
मोड़ों पर कई खयाल जो रखते है जिन पर हम वह उम्मीदे भी रखते है सारी राहों पर जो सपने अधूरे से रह गये है
हम उन्हें पूरी करने की कही ना कही काबलियत भी रखते है  पर कभी कभी हम दिल से यही चाहते है
की हम जीत जाये तो हम उम्मीद को जिन्दा भी रखते है पर अगर हम हार भी जाये तो भी कुछ काम तो करते है
रहो पर कोई ना कोई उम्मीद हम हर रोज तो रखते है और उम्मीद रखे तो भी क्या गलत करते है हर बार हमारी सोच दिल में रहती है
सारी सोच हमे दिल में जिंदा रहती है वही हमारी जिन्दगी है जो कभी ना बदलती है हर बार हम यह सोच को रखते है
जो हमें खुशियाँ देती है हर मोड़ पर हम जीते है खयाल हमारे बुलंद हो तो दुनिया क्या कर लेती है हर बार जो जीते वह एक सोच हमें जिंदा रखती है
हर मोड़ पर जो हमें नये ख्वाब पैदा करती है वही सोच हमे जीने पर मन में खुशियाँ देती है सोच में कभी कभी तो जीया करो क्यों की सोच ही हमे बनती है
इंतजार मत करना उम्मीद का जो हर पल जिंदा रखती है हर बार हम जब आगे बढ़ते है तब दुनिया नहीं पर यह सोच ही पहले खुशियाँ देती है  

No comments:

Post a Comment

कविता. ५१४७. अरमानों को दिशाओं की कहानी।

                       अरमानों को दिशाओं की कहानी। अरमानों को दिशाओं की कहानी सरगम सुनाती है इशारों को लम्हों की पहचान बदलाव दिलाती है लहरों...