Thursday 2 July 2015

कविता ४८. काच के रंग

                                                                 काच के रंग
हर तरह के रंग उस काचमे कई बार दिखे है उस काच को अगर आप समजले तो हमे आसानी से समज जाते है
रंग बहोत खुब है लेकिन उन रंग में मतलब दिखता है अगर सिर्फ खूबसूरती को ना देखकर तुम जब उन रंगों को देखते है
तो वही रंग दिल को छू लेते है हर रंग को लोग सिर्फ देखते है सुंदरता को समज लेते है पर कभी कभी तो उन रंगों की सोच को देखो और जानो तो ख़ुशी देते है
रंग के अंदर हर मोड़ पर हम कुछ तो समज जाते है पर ज्यादातर लोग बस यही समजते है सारे रंग मन को छू तो लेते है
पर सिर्फ उन रंगों को हम क्या समजे जो हमको सिर्फ दिखते है रंग में कई मतलब हम लोग समजते है तो हर चीज़ जो हम करते है
वह सारे रंगों में ही होती है हर बार हर कदम जब हम चलते है पर कभी कभी ही हम उनको समजने की कोशिश करते है
हर राह पर चलते हुए जब इधर उधर हम देखते है सारे रंग तो सुंदर है पर उनमे भी हम एक तरह की समज रखते है
रंग को जब जब हम समजते है तो उनके अंदर भी कोई सोच को समजते है पर हमने अक्सर देखा है जो सिर्फ रंगों की खूबसूरती को ही देखते है
रंगों में कई तरह की सोच हम हर बार देखते है उस रंगों में पल पल हम कुछ ना कुछ तो समजने लायक रखते है
सारे रंगों में हर रंग कुछ ना कुछ बताता है पर लोग नहीं समजते है काश के रंग जो हमे समजाते है उन्हें भी समजा पाते
पर क्या करे अगर लोग नहीं समजते है तो आज कल हम सिर्फ आगे बढ़ते है कोई समजे तो बेहतर है जो ना समजे उन्हें हम भी तो नहीं समजते है
हम लोगों को नहीं पर सिर्फ उन रंगों को समजते है और जो रंगों को समज पाये है वह अक्सर बिना किसी मुश्किल के हमे समजते है

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