Wednesday 10 June 2015

कविता २ गुलाब की खुशबु

गुलाबों में खुशबु हमेशा होती है पर तारीफ तोह उस सांसों की जो उन्हें महसूस कराती है
हर बार फूल तो खिलते है खुशबु  हर बार महकती है वह खुशबु जो हमे ख़ुशी हर पल देती है
वह खुशबु समा में होती है पर कभी कभी उसे समजना भी लोगो के लिए गलत बात होती है
कोई महसूस करे उसको तो गुन्हा कहते है लोग मानो इन्सान होना ही कोई खता होती है
खुशबु जो हमे इतनी भाती है वही अगर आराम से महसूस करे तो भी कभी कभी लोगो के लिए
वह बात खता होती है
क्या इन्हे खुश करने के लिए जीना ही  खता होगी हर मोड़ पर जो दिल ख़ुशी को तरसता है
पर हर बार ख़ुशी भी छोटी छोटी बातो में पता है उस दिल को रुलाना भी एक बड़ी खता  ही  होगी
गुलाबों में सुन्दरता बनायीं थी तो उसी अहसास से जिन्दगी में सच्ची ख़ुशी होती है पर लोग चाहते है
उन खुशियो को भूल कर सिर्फ उसे देखे जिसे वह चाहते है हमारे नज़र में वही खता होती है
हर बार हम ख़ुशी चाहते है तो फिर एक गुलाब महसूस करने में भला क्या खता होती है ?
पर ये दुनिया है उसकी हर बात मानना ही अपने दिल पर सबसे बड़ी खता महसूस होती है
क्युकी दुनिया में एक रीत होती है दुनिया अपनी मर्जी से चलती है पर हमे सही करने से भी रोकती है
पर जो उस वक्त नहीं रुकते उनके लिए दुनिया हर बार रुका करती  है

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